भोपाल: राज्य शासन का वन विभाग पहले से विद्यमान आरा मशीनों के नये बने वन खण्डों के दायरे से मुक्त करने का विधिक प्रावधान लायेगा। दरअसल, मप्र काष्ठ चिरान विनियमन अधिनियम 1984 में प्रावधान है कि आरक्षित एवं संरक्षित वन की सीमाओं के बाहर 20 किलोमीटर के भीतर के क्षेत्रों में कोई आरा मशीन स्थापित नहीं हो सकेगी एवं इसके लिये लाइसेंस भी नहीं दिया जायेगा।
लेकिन अब कई आरा मशीनों के पास वैकल्पिक वृक्षारोपण के तहत राजस्व भूमि का डायवर्सन कर नये वन खण्ड बना दिये गये हैं तथा इससे ये आरा मशीनें 20 किमी की परिधि का उल्लंघन कर रही हैं। इसीलिये वन मुख्यालय की संरक्षण शाखा ने नये वन खण्डों के पास पहले से स्थापित आरा मशीनों को 20 किमी की परिधि के प्रावधान से मुक्त करने का प्रस्ताव राज्य शासन के पास भेजा है।
इसके लिये काष्ठ चिरान अधिनियम में संशोधन किया जायेगा। संशोधन के इस प्रस्ताव को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा गठित वरिष्ठ सचिव समिति को भेजा जायेगा तथा उसके बाद इसे केबिनेट से मंजूरी दी जायेगी और अध्यादेश या विधानसभा में विधेयक पारित कराकर इसे लागू किया जायेगा।