वनों में धार्मिक स्थल के 1227 अधिकार मिले आदिवासियों को, महुआ का देने से इंकार


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स्टोरी हाइलाइट्स

महुआ का सामुदायिक अधिकार देने से वन विभाग ने इसलिये मना किया है क्योंकि इससे विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है, वर्तमान में वनों से जो महुआ बीना या तोड़ा जाता है, उसमें आपसी सहमति से यानि बिना किसी लिखा-पढ़ी के महुआ के पेड़ चिन्हित कर दिये जाते हैं कि अमुक पेड़ से कौन आदिवासी महुआ लेगा..!!

भोपाल: राज्य के वन विभाग ने आदिवासियों को वन क्षेत्र में स्थित उनके 1227 धार्मिक स्थलों पर आने-जाने एवं पूजार्चना करने हेतु सामुदायिक अधिकार दिये हैं। लेकिन वन विभाग ने उन्हें वनों में मौजूद महुआ बीनने या तोड़ने के सामुदायिक अधिकार देने से इंकार कर दिया है। दरअसल, राजभवन में गठित जनजातीय प्रकोष्ठ की बैठक में यह मामला आया था।

महुआ का सामुदायिक अधिकार देने से वन विभाग ने इसलिये मना किया है क्योंकि इससे विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है। वर्तमान में वनों से जो महुआ बीना या तोड़ा जाता है, उसमें आपसी सहमति से यानि बिना किसी लिखा-पढ़ी के महुआ के पेड़ चिन्हित कर दिये जाते हैं कि अमुक पेड़ से कौन आदिवासी महुआ लेगा।

एक रिपोर्ट के अनुसार, वन विभाग ने वनों में अन्य मामलों में भी आदिवासियों को सामुदायिक अधिकार दिये हैं। इनमें 5427 रास्तों के अधिकार, 4095 चरनोई के अधिकार, 3809 गिरी लकड़ी के संग्रहण का अधिकार, 624 गोठान के अधिकार, 1391 जलाशयों के अधिकार, 313 खलिहान के अधिकार, 237 मछली पालन के अधिकार, 1323 शमशान घाट के अधिकार, 537 मढ़ई/मेले का सार्वजनिक निस्तार के अधिकार, 334 खेल मैदान के अधिकार एवं 23 हाट बाजार के अधिकार शामिल हैं। इनके अलावा, 6921 लघुवनोपज संग्रहण के अधिकार भी दिये गये हैं।