सपा सांसद शफीकुर्रहमान का निधन, 94 साल की उम्र में ली आखिरी सांस


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स्टोरी हाइलाइट्स

महीने की शुरुआत में स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्हें मुरादाबाद स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था..!!

समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का मंगलवार 27 फरवरी को निधन हो गया है। वह 94  साल के थे। देश के सबसे बुजुर्ग सांसद शफीकुर्रहमान बर्क लंबे समय से बीमार चल रहे थे। इस महीने की शुरुआत में स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्हें मुरादाबाद स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका निधन हो गया।

उन्हें शारीरिक कमजोरी और दस्त के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वह किडनी में संक्रमण से पीड़ित थे। शफीकुर रहमान का जन्म 11 जुलाई 1930 को हुआ था। उन्होंने राजनीति की शुरुआत चौधरी चरण सिंह के साथ की थी. वह बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक भी थे। वह देशभर में मुसलमानों की आवाज उठाने और नेक छवि के लिए जाने जाते थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी के गठन के दौरान मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर काम किया और उन्हें सपा का संस्थापक सदस्य भी कहा गया।

वर्तमान में संभल से सपा सांसद बर्क 5 बार लोकसभा चुनाव जीते। उन्होंने 1996, 1998 और 2004 में तीन बार सपा से मुरादाबाद लोकसभा सीट जीती। इसके बाद 2009 में वह बीएसपी के टिकट पर संभल लोकसभा से जीतने में कामयाब रहे। इसके बाद 2019 में उन्होंने फिर से सपा के टिकट पर आसानी से जीत हासिल की। हालांकि, 1999 की मुरादाबाद सीट और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह संभल सीट से महज कुछ ही वोटों के अंतर से हार गए।

इसके अलावा शफीकुर रहमान बर्क 4 बार संभल सीट से विधायक चुने गए और एक बार यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। वह 1974 से 1977, 1977 से 1980, 1985 से 1989 और फिर 1991 तक विधायक रहे। उनके पोते ने 2022 का विधानसभा चुनाव मुरादाबाद सीट से जीता। 2022 में बर्क ने अपने पोते जियाउर्रहमान बर्क को सपा के टिकट पर मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से विधायक बनाया. कुंदरकी सीट से अपने पोते को जिताने के लिए शफीकुर रहमान बर्क ने पूरी ताकत लगा दी।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक बार बर्क की तारीफ की थी। 2023 में नई लोकसभा में अपने भाषण के दौरान, पीएम नरेंद्र मोदी ने सदन के प्रति उनकी वफादारी के लिए बर्क की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि 93 वर्ष की उम्र होने के बावजूद डॉ. शफीकुर रहमान बर्क इस सदन में बैठे हैं। सदन के प्रति समान निष्ठा होनी चाहिए।