राष्ट्रीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष अल्का लांबा और प्रदेश महिला कांग्रेस महामंत्री मधु शर्मा के बीच भोपाल में आयोजित प्रदेश महिला कांग्रेस की बैठक में जूता खाने व जूता मारने के गरिमा के विपरीत और अशोभनीय व्यवहार से कांग्रेस की छवि धूल धूसरित हुई है।
राष्ट्रीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष अल्का लांबा की अध्यक्षता में 16 जुलाई 2024 को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भोपाल में आयोजित प्रदेश महिला कांग्रेस की बैठक में मधु शर्मा द्वारा यह कहे जाने पर कि उनका नाम पढ़ी गई सूची में नहीं है फिर उन्हें बैठक में क्यों बुलाया गया, क्या हम जूता खाने आए हैं ? इस पर आसंदी ने कहा कि आप जूता खाने लायक ही हैं, इन्हें जूता मारकर बाहर निकाल दीजिए।
यहां यह स्पष्ट है कि प्रदेश महिला कांग्रेस ने जो पदाधिकारी बनाए उनमें से अधिकांश राष्ट्रीय महिला कांग्रेस द्वारा अनुमोदित ही नहीं थे, मधु शर्मा भी उनमें से एक थीं और इसीलिए उन्हें और अन्य अनापेक्षितों के साथ बाहर जाने के लिए आसंदी की ओर से कहा गया। फलस्वरूप लंबे समय से कांग्रेस में व्याप्त रुतबा संस्कृति (रुतबे का दबदबा) मधु शर्मा में अनुशासन से परे और गरिमा के विपरीत अशोभनीय प्रलाप के रूप में फूट पड़ी और आसंदी की ओर से भी उसी तीव्रता तथा तुकबंदी से मार्शल बाण छोड़ दिए गए।
निश्चित ही प्रदेश महिला कांग्रेस की लचर, नियंत्रण से परे और राष्ट्रीय अध्यक्ष की गरिमा के विपरीत व्यवस्था सामने आती है। प्रदेश महिला कांग्रेस की जिम्मेदारी है कि राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष की बैठक अनुशासन और गरिमानुकूल संपन्न हो, तथापि राष्ट्रीय अध्यक्ष का तत्पर और तीब्र कड़े शब्दों में अनुशासनात्मक संवेग अनापेक्षित था।
आजादी के संघर्ष की प्रतीक और बलिदानी "कांग्रेस" के सत्य, अहिंसा, समर्पण, सहजता, विनम्रता और अनुशासन के सारे सिद्धांत तार तार हो गए तथा हमारी कर्मठ महिला पदाधिकारी और कार्यकर्ता के अनुशासन, मर्यादा, लज्जा (हया व शर्म) से परे व्यवहार ने कांग्रेस को गली गली में चर्चा और परिहास में लाकर खड़ा कर दिया है।
आजादी के बाद लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण कांग्रेस पदाधिकारियों में पदीय (रुतबा) दबदबा (औकात) संस्कृति कूट कूट कर भरी हुई है। इसे तोड़ने के लिए ऊपर के स्तर से अति विनम्रता, अनुशासन, मर्यादा, गरिमा, सहजता,बड़प्पन और स्नेह पूर्ण पारदर्शी व्यवहार अनवरत विस्तारित करने की आवश्यकता है जो निचले स्तर तक अनुकरणीय होगा।इससे जिला, खण्ड और वार्ड स्तर तक अपने आप अनुशासन, सेवा और समर्पण भावना की जड़ें मजबूत तथा गहरी होंगी।
प्रदेश, जिला और खण्ड स्तर के पदाधिकारियों में भी आम कांग्रेस जनों के प्रति विनम्रता, सहजता, निकटता, बड़प्पन, अपनापन, पारदर्शी, धैर्य और तत्पर जवाबदेही का गहरा व चिर स्थाई भाव कैसे आए इस ओर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है। इस हेतु प्रत्येक बैठक और सभाओं की शुरुआत हर स्तर पर बंदे मातरम और रघुपति राघव राजाराम से होनी चाहिए।
पदाधिकारियों की नियुक्ति भी बिना अपेक्षित अनुमोदन के नहीं करना दृढ़ता से सुनिश्चित किया जाना आवश्यक और अनिवार्य हो। कांग्रेस में हर स्तर पर कड़ा अनुशासन, समर्पण, सेवा, मर्यादा और गरिमा पर विशेष जोर दिए जाने की जरूरत है।
हम कांग्रेस जन श्री राहुल गांधी जी की भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा से, उनके अनुशासन, धैर्य, मर्यादा, गरिमा और दृढ़ता को अंगीकार करें तभी कांग्रेस को जनोन्मुखी बना पाएंगे।