भोपाल: अगले महीने सेवानिवृत होने वाले 1989 बैच के आईएफएस एवं पीसीसीएफ संरक्षण डॉ दिलीप कुमार से 22 लाख रुपए की वसूली होगी अथवा नहीं? यह सवाल वन विभाग के शीर्षस्थ अधिकारियों के बीच चर्चा के केंद्र बिंदु में है। इसका जवाब वन मंत्रालय के फाइलों में कैद है।
लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक विभाष ठाकुर ने रिकवरी करने का प्रस्ताव एसीएस के पास भेज दिया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सीसीएफ पद से सेवानिवृत हुए आरपी राय और डीके पालीवाल से भी विभाग रिकवरी नहीं कर पाया। यहां तक कि उनके देयकों का भुगतान भी कर दिया गया है। इसलिए यह एक प्रश्न बन गया है कि डॉक्टर कुमार से 22 लाख की वसूली होगी अथवा नहीं?
पीसीसीएफ संरक्षण डॉ कुमार जब सीईओ एमएफपी पार्क में पदस्थ थे तब उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 22 लाख 1443 खर्च कर निजी प्रकाशक से अपने नाम से तीन पुस्तक का प्रकाशन करा लिया। इसके लिए न तो प्रकाशन के लिए मंजूरी ली गई और न भुगतान की स्वीकृति ली।
मौजूदा सीईओ अर्चना पटेल के अनुसार पुस्तक की प्रिंटिंग हेतु संघ मुख्यालय से अनुमति लिये जाने के संबंध में इस कार्यालय में अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं। एमएसपी पार्क की तत्कालीन समिति सेबी पुस्तक के प्रकाशन भुगतान की सहमति नहीं ली गई थी। समिति के एक सदस्य का तो यहां तक कहना है कि डॉ कुमार ने कोई किताब भी लिखी है, इसकी जानकारी समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के बाद पता चली।
क्या है मामला..
डॉ कुमार 1999 बैच के आईएफएस वर्तमान में पीसीसीएफ (संरक्षण) के पद पर हैं और जुलाई में रिटायर होने जा रहें हैं। मामला वर्ष 2023 का है। तब डॉ कुमार लघु वनोपज संघ के अतिरिक्त प्रबंध संचालक एवं एमएफपी पार्क के सीईओ थे। शासन ने 8 मई को मिली शिकायत पर वनोपज संघ से जवाब मांगा, तब खुलासा हुआ कि किताबों का कॉपीराइट आईएफएस दिलीप कुमार के पास हैं।
शासन को भेजे गए सीईओ अर्चना पटेल के जवाब से मामला प्रकाश में आया है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में डॉक्टर कुमार से रिकवरी की जा सकती है। इसकी कार्यवाही भी शुरू हो गई है।
किताब कीमत प्रकाशन खर्च..
हर्स एंड ट्राइम ₹1699 3,88,500 एडमिक स्पीशीस
वॉल्यूम-1: 3499: 10,74,302
एडमिक स्पीशीस वॉल्यूम-II: 3499: 7,38,641
आरपी राय: खंडवा सर्किल में पदस्थ सीसीएफ आर पी राय के खिलाफ 10 जून 2019 को आरोप पत्र जारी हुआ था। आरोप था कि वन मंडल इंदौर के अंतर्गत वन परिक्षेत्र चोरल में बड़े पैमाने पर अवैध कटाई हुई थी। जांच के दौरान राय अपने दायित्वों का निर्वहन करने में असफल रहे। इसके कारण 6 लाख 93 हजार 361 रुपए की राजस्व हानि हुई थी। अभी इनसे वसूली नहीं हुई है। मामला विभाग में ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। राय सेवानिवृत्त हो गए हैं। विभागीय मंत्री की विशेष कृपा होने के कारण इनसे छह लाख 93 हजार की वसूली नहीं हो पाई है।
डीके पालीवाल: सीसीएफ शिवपुरी के पद से रिटायर हुए हैं। इनके पेंशन के भुगतान पर आपत्ति की गई है, क्योंकि धार और फिर गुना डीएफओ पद रहते हुए आर्थिक गड़बड़ी कर शासन को नुकसान पहुंचाया है। धार में पदस्थ रहते हुए पालीवाल ने एक रेंजर का समयमान वेतनमान का फिक्सेशन अधिक कर दिया।
जब मामला संज्ञान में आया, तब तक पालीवाल वहां से स्थानांतरित हो गए थे। विभाग ने अतिरिक्त भुगतान के गए राशि वसूलने के नोटिस सेवानिवृत्त रेंजर को भेजा तो कोर्ट ने उस के पक्ष में फैसला देते हुए फिक्सेशन करने वाले अफसर पालीवाल से ₹300000 (तीन लाख) की वसूली करने के आदेश दिए।
इसी प्रकार गुना में कैंपा फंड की राशि से गड़बड़झाला करने का भी आरोप है। विभाग ने उनके खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया किंतु बड़े अफसरों के चहेते होने की वजह से आरोप-पत्र को शो-कॉज नोटिस परिवर्तित कर दिया गया है। बजट शाखा ने उनके पेंशन जारी करने पर आपत्ति लगाई है किंतु शीर्ष अफसरों ने शो-कॉज नोटिस जारी कर उनके पेंशन और समस्त देयकों के भुगतान के रास्ते प्रशस्त कर दिए।