नरवाल ने कहा है कि अनेक मंडियों में अतिरिक्त भूमि उपलब्ध है। सी (56) एवं डी (122) क्लास की कृषि उपज मंडी समितियां मौसमी स्वरूप की होने से फसलों के बारहमासी विपणन हेतु पर्याप्त उपयोग में नहीं आ पाती हैं। इन सुविधाओं के बावजूद भी प्रदेश की 4 मंडियों तथा 126 उपमंडियां अक्रियाशील होकर उनमें उपलब्ध भूमि एवं संरचना अनुपयोगी होती जा रही है। इसको दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश की सी एवं डी क्लास की कृषि उपज मंडी प्रांगणों (178) में उपलब्ध रिक्त भूमि पर कृषि आधारित व्यापार एवं उद्योग स्थापित करने की कार्यवाही की जाये जिससे मंडियों में कृषि विपणन गतिविधियां, जिन्सों की आवक तथा आय बढ़ाई जा सके।नरवाल ने कहा है कि जिन मंडियों एवं उपांडियों में बहुत सी भूमि रिक्त है तथा किसी भी उपयोग में नहीं आ रही है, भविष्य की संभावनाओं का आंकलन करते हुए मण्डी गतिविधियों के लिए भूमि आरक्षित करने के पश्चात भी भूमि रिक्त है, ऐसी रिक्त भूमि पर कृषि आधारित उद्योग एवं व्यापार लगाने हेतु इच्छुक व्यक्ति/संस्था को भूमि का आवंटन किए जाने पर कृषि आधारित उद्योग एवं व्यापार स्थापित होने से आवंटित भूमि के विरूद्ध राशि प्राप्त हो सकेगी। साथ ही वार्षिक किराया भी प्राप्त हो सकेगा तथा प्रसंस्करण उद्योग खुलने की स्थिति में किसानों की अपनी उपज अपने क्षेत्र में विक्रय करने की सुविधा प्राप्त हो सकेगी तथा मण्डी शुल्क प्राप्त होने से मण्डी की आय बढ़ेगी। कृषकों को भी उनके क्षेत्र के निकटतम स्थानों पर कृषि विपणन तथा पोस्ट हारवेस्ट सुविधायें प्राप्त होने से न्यूनतम लागत पर अधिक लाभकारी सेवाएं व किसानों की आय वृद्धि प्राप्त हो सकेंगी।