पितृ दोष शान्ति के विशेष उपाय….


स्टोरी हाइलाइट्स

इसके साथ-साथ शास्त्र अनुसार पितृ-दोष की शान्ति के लिए सुगम, विश्वसनीय एवं परम्परागत बहु प्रचलित उपाय श्राद्ध है। अपने पितरों के भक्ति व श्रद्धा से किया गया श्राद्ध कर्म व्यर्थ नहीं जाता।

(1) पितृ-दोष की शान्ति हेतु 41 दिन तक लगातार 5 पीली कौड़ियों को रात भर आग में तपा कर भस्म बना लें। अथवा चिरायु कपर्दिका कौड़ी भस्म बनी हुई खरीदें। प्रातः काल किसी शिव मंदिर में भगवान शिव को दूध व जल चढ़ा कर कौड़ियों की भस्म में चिरायु पोषक तेल मिलाकर शिवलिंग पर त्रिपुंड (ख) बनाना चाहिए, 27 गुरुवार तक।

(2) अपने पूरे परिवार के प्रत्येक सदस्य से 3-3 रुपये, 3-3 हल्दी की गांठ, थोड़ी-थोड़ी केसर, 30-30 ग्राम चने की दाल, 100-100 ग्राम गुड़ लेकर एक जगह एकत्र करें। एकत्रित रुपयों का उपयोग किसी जीर्ण शीर्ण मन्दिर के जीर्णोद्धार, रंगाई पुताई आदि में करें। 

हल्दी की गाँठों को पीसकर 21 अलग अलग शिव मंदिर में पूजन हेतु दान कर आवें अथवा हल्दी में गाय का दूध और गंगाजल मिलाकर लेप बनाएं और शिव मंदिरों में शिव लिंगों पर लेप करें। चने की दाल और गुड़ किसी गाय व बैल को खिलाएं। 

यह कार्य परिवार के सभी लोग मिलकर करें। यह आजमाया हुआ उपाय है। इसके परिणाम बहुत ही शुभ आते हैं। यह उपाय एक अघोर तांत्रिक द्वारा जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) प्रवास के समय बताया गया था। डिप्रेशन एवं हीन भावना से निजात।

(3) नियमित रुप से नौ सोमवारों तक गाय का दूध, दही, घृत, गोबर और गोमूत्र, चिरायु शंख भस्म, चिरायु मुक्ताशुक्ति भस्म, चन्दन पाउडर व गुलाब जल, सादा जल में मिलाकर जातक द्वारा स्नान करने से पितरों व पूर्वजों के मन को शांति मिलती है। 

जातक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है तथा स्वास्थ्य अच्छा रहता है। भटकाव समाप्त होकर धन की प्राप्ति होने लगती है। चावल, कपूर, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, घृत, श्वेत पुष्प किसी शिव मंदिर में प्रार्थना पूर्वक दे आवें।

पुलिस से भय मुक्ति हेतु:

(4) मंगलवार को नियमित रूप से लाल चंदन, लाल पुष्प, बेल वृक्ष की छाल, जटामांसी तथा हींग से काढ़ा बनाएं। इस काढ़े में चिरायु मालकाँगनी तेल मिले जल से पीड़ित के स्नान करने से पुलिस का भय दूर होता है।

त्वचा रोग में:

(5) मंगलवार को राहुकाल में लाल वस्त्र, खड़ी मसूर, गुड़, चन्दन का इत्र, गेहूँ, लाल कनेर के पुष्प, किसी शिव मंदिर में या भगवान कार्तिकेय के मंदिर में चढ़ाने से भूमि का विवाद, त्वचा रोग, क्रोध आदि अरिष्ट दूर होते हैं।

यदि अविवाहित हैं तो..

(6) मंगली जातकों को अथवा जिनके विवाह में बाधाएं आ रहीं हों, उन्हें प्रतिदिन 90 दिन तक लगातार चिरायु प्रवाल भस्म में चन्दन इत्र, गुलाब के फूलों का रस मिलाकर शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाना चाहिए। निम्न मंत्र का 12, 27, 54 बार या एक माला जाप करना चाहिए।

मन्त्र- 'ॐ गङ्गाधराय भूमि सुताय नमः शिवाय ॐ शिवाय नमः॥'

झूठे इल्जाम:

(7) यदि पुलिस द्वारा झूठे केस में फंसाया गया हो तो घर के सभी सदस्य मिलकर नौ-नौ रुपये एकत्रित करें और पास के किसी कारीगर, हकीम, वैद्य को दान करें अथवा घर के नजदीक किसी मंदिर में घंटा चढ़ावें ।

(8) असाध्य रोगों में मंत्र- ॐ भौमाय नमः शिवाय श्री कार्तिकेय स्वामी नमः शिवाय ॐ।

(9) प्रतिदिन शिवलिंग और भगवान कार्तिकेय पर शहद अथवा चिरायु मधुरस चढ़ाने से मन शांत रहता है। यदि चिड़चिड़ापन, क्रोध, अवसाद, डिप्रेशन हमेशा बना रहता है तो भगवान कार्तिकेय या शिवजी पर नियमित रूप से मोर पंख चढ़ाएं।

समृद्धि हेतु:

(10) 20 शुक्रवार तक पूरे शरीर में मक्खन की मालिश करके कुछ जल में मिश्री मिलाकर स्नान करें, फिर सादा जल से स्नान करें तथा 20 ग्राम मक्खन और 10 ग्राम मिश्री नागबल्ली (पान) के पत्ते पर रखकर शिव मंदिर में रख आवै। समृद्धि आने पर रविवार को सभी लोग थोड़ी थोड़ी चाँदी एकत्रित कर त्रिशूल बनवाकर किसी जीर्ण शीर्ण शिव मंदिर में स्थापित करें।

कर्जे से मुक्ति:

(11) 5 रविवार चिरायु शुद्ध मैनसिल, 5 इलायची पीसकर, केसर, खस का इत्र, मुलेठी पाउडर या चिरायु मधुयष्टी चूर्ण तथा लाल रंग के पुष्प (गुड़हल, गुलाब) का रस निकालकर सभी को मिश्रित कर जल में मिलाकर स्नान करने से तनाव, अपयश, बदनामी से मुक्ति मिलती है। 

(12) कर्जा मुक्ति हेतु एक ताँबे के लोटे में गंगाजल, मुलहटी पाउडर सहित गुढ़ भरकर 1 गुढ़हल, 1 गुलाब पुष्प लोटे में डालकर रविवार को सूर्योदय से पूर्व किसी शिव मन्दिर में छोड़ आवें और कर्जा मुक्ति हेतु हृदय से प्रार्थना करें।

विशेष – (1) ऊपर बताए गए सभी उपाय ग्रहों, पितृ-दोष की शान्ति तथा स्वास्थ्य के लिए अचूक है। मैंने तथा अन्य पीड़ित लोगों ने ये उपाय किये, तो बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त हुए। ये सभी उपाय समय-समय पर प्रवास के दौरान संतों, योगियों, महात्माओं, तांत्रिकों और अघोरियों द्वारा बताए गए हैं। ये सफलता पाने हेतु विशेष चमत्कारी हैं।

(2) शिव मंदिर में पूजा एवं चढ़ावे के समय वहाँ के पुजारी से सहयोग लेकर दक्षिणा अवश्य देवें।

सामान्य उपाय:

(1) बुध की शांति के लिए 23 बुधवार तक जीर्ण-शीर्ण शिवलिंग पर भांग का लेप करें। कुछ पीली कौड़ियों को बुधवार को रात भर आग में तपा कर प्रातः काल किसी नदी में बहा दें।

(2) बृहस्पति की शान्ति के लिए पितृ-दोष वाले जातक के रक्त सम्बन्धियों से एक-एक रुपया लेकर बृहस्पतिवार को किसी मंदिर में दान करें।

ये दोनों उपाय 41 दिन तक नियमित करें।

इसी प्रकार:

(3) सूर्य की शान्ति के लिए जातक अपने पारिवारिक जनों से धन लेकर रविवार को यज्ञ कराए। 

(4) चन्द्रमा के लिए अपनी सामर्थ्य भर एक ही सोमवार को चाँदी का नाग अथवा चांदी सूर्यास्त के बाद दान करें।

(5) मंगल के लिए मंगल के दिन कुछ धन किसी वैद्य या डाक्टर को इसलिए दें, कि वे उस धन से कुछ गरीब रोगियों का इलाज कर दें।

(6) शुक्र की शान्ति के लिए जातक एक ही शुक्रवार को अपने रक्त सम्बन्धियों से बराबर की भागीदारी में नौ जानवरों - बैल, साड़, गायों आदि को हरा चारा व दाना खिलाएं। 

(7) शनि के लिए शनिवार के ही दिन मछलियों को दाना डालें।

(8) राहु के लिए रविवार के दिन नदी में नारियल बहाएं।

(9) केतु के लिए भी रविवार के दिन ही कुत्तों को भोजन कराएं।

इन सभी कार्यों पर होने वाले व्यय को बराबर की भागीदारी में अपने रक्त सम्बन्धियों से धन एकत्र करके व्यय करें। यह सभी सामान्य उपाय समय-समय पर करते रहने से काफी लाभ होता है।

चिन्तन ज्योतिष के अनुसार ऊपर बताए गए पितृ-दोष की शान्ति के उपाय निरर्थक नहीं कहे जा सकते, परन्तु आधुनिक युग के व्यावहारिक जगत में बहुत कठिन है। दूसरी ओर यदि ऐसा हो जाये, तो बिखरे हुए परिवार संगठित भी हो सकते हैं।

यदि वे उपाय कठिन प्रतीत हों तो भगवान शिव के मंदिर में शिवलिंग पर चंदन का इत्र लगाकर “ॐ नमः शिवाय" के कम से कम पाँच माला जप उस दिन के ग्रह स्वामी अथवा नक्षत्र स्वामी के लिए करें। 

इस प्रकार सप्ताह के सातों दिन सभी ग्रहों की शान्ति के लिए करें। रविवार को सूर्य के लिए पांच माला जपने के अतिरिक्त राहु-केतु के लिए भी पाँच-पाँच माला जपें।

इसके साथ-साथ शास्त्र अनुसार पितृ-दोष की शान्ति के लिए सुगम, विश्वसनीय एवं परम्परागत बहु प्रचलित उपाय श्राद्ध है। अपने पितरों के भक्ति व श्रद्धा से किया गया श्राद्ध कर्म व्यर्थ नहीं जाता।

पं. श्याम मिश्र