महलों का राजा जिसे एक फ़कीर ने दिखाया मोक्ष का दरवाजा...


स्टोरी हाइलाइट्स

राजा बोला कि महाराज दरवाजे के बिना महल क्या काम आए? तब संत ने कहा- आप समझें राजन एक दिन ऐसा आएगा कि लोग इस महल से उठाकर आपको बाहर ले जाएंगे, रहने देंगे नहीं।

महल में कमी एक राजा वह एक संत के पास जाया करता और उनका सत्संग किया करता था। उस राजा ने अपने लिए एक महल बनाया। पहले उसके कई महल थे, पर अब ऐसा महल बनाया, जिसमें आराम की सब चीजें हो और उसमें ज्यादा ठाठ-बाट से रहे। राजा ने संत से कहा कि महाराज एक दिन आप चलो, हमारी कुटिया पवित्र हो जाए। संत उसको टालते गए। राजा ने बहुत बार कहा तो एक दिन संत बोले कि अच्छा भाई, चलो।

राजा ने संत को महल दिखाना आरंभ किया कि यह हमारे रहने की जगह है, यह हमारे पंचायत की जगह है, यह भोजन की जगह है, यह सोच ध्यान की जगह है, आदि-आदि। संत चुपचाप देखते रहे, कुछ बोले नहीं। अगर वाह-वाह करते हैं तो हिंसा लगती है। कारण कि मकान बनाने में बड़ी हिंसा होती है। बहुत से जीव मरते हैं।

चूहे, सांप, गिलहरी आदि के रहने और चलने-फिरने में आड़ लग जाती है, क्योंकि जितने हिस्से में मकान बना है, उतने हिस्से में वे जा नहीं सकते, स्वतंत्रता से घूम नहीं सकते। पहले उतने हिस्से में सब जीवों का हक लगता था, पर अब केवल एक का ही हक लगता है। संत कुछ बोले नहीं तो राजा ने समझा कि महाराज को मकान पसंद नहीं आया। राजा लोग चतुर होते हैं। राजा ने पूछ लिया कि महाराज।

महल में कमी क्या है? संत बोले कि कमी तो इसमें बड़ी भारी है। राजा ने विचार किया कि बड़े-बड़े कुशल कारीगरों ने महल बनाया है। उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी। जहां कमी दिखी, उसको पूरा कर दिया। परन्तु बाबाजी कहते है कि कमी है और वह भी मामूली नहीं है, बड़ी भारी कमी है। राजा को बड़ा आश्चर्य आया और पूछा कि क्या बहुत बड़ी कमी है?

संत बोले कि हां, बहुत बड़ी कमी है। राजा ने पूछा कि महाराज क्या कमी है। संत बोले कि तुमने यह महल क्यों बनवाया? राजा ने कहा महाराज। मैंने अपने रहने के लिए बनाया है, पर एक दिन लोग उठाकर ले जाएंगे। इसलिए अगर रहना ही हो तो यह दरवाजा नहीं होना चाहिए, बाहर निकलने की जगह होनी चाहिए।

राजा बोला कि महाराज दरवाजे के बिना महल क्या काम आए? तब संत ने कहा- आप समझें राजन एक दिन ऐसा आएगा कि लोग इस महल से उठाकर आपको बाहर ले जाएंगे, रहने देंगे नहीं। इस कथन के पश्चात राजा को संत के कहने का मतलब समझ में आया और उसने संत से आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा किया।