जीवन प्रबंधन / गुस्से में बेटे को पिता ने दिया टास्क तो उसका गुस्सा कम होने लगा, वो कौन सा काम था?

google

Image Credit : medicalntoday

स्टोरी हाइलाइट्स

क्रोध में कही और की गई बात हमेशा दुख देती है, लेकिन फिर भी लोग इस बात को नहीं समझते हैं। शरीर के जख्म तो भरते हैं, लेकिन कड़वी बोली के जख्म जिंदगी भर नहीं भरते।

क्रोध में कभी भी अभद्र भाषा का प्रयोग न करें। ये बातें लोगों को हमेशा याद रहती हैं। समय-समय पर ऐसी बातें सामने आती रहती हैं। आज हम आपको एक ऐसी घटना बता रहे हैं, जिसका सार यह है कि क्रोध में बोले गए कटु वचनों के घाव कभी नहीं भरते।

जब गुस्साए युवक को अपनी हरकत पर पछताया

एक गाँव में एक लड़का रहता था। वह बहुत गुस्से में रहता था। उसकी आदत से परेशान होकर एक दिन उसके पिता ने उसे कीलों से भरा थैला दिया और कहा, "अब जब भी तुम्हें गुस्सा आए, तो इस थैले में से कील निकालकर दीवार पर लगे लकड़ी के तख्तों पर ठोको।"

पहले दिन लड़के ने 40 बार क्रोधित होकर लकड़ी के तख्ते पर उतने ही कीलों से प्रहार किया। धीरे-धीरे कीलों की संख्या कम होने लगी, उसे लगने लगा कि हथौड़े से मारने से बेहतर है कि अपने गुस्से पर काबू पा लिया जाए और अगले कुछ हफ्तों में उसने अपने गुस्से को काफी हद तक नियंत्रित करना सीख लिया। फिर एक दिन लड़के को पूरे दिन में एक बार भी गुस्सा नहीं आया।

जब उसने यह बात अपने पिता को बताई तो उसने उसे  दूसरा काम दे दिया।

लड़के ने वैसा ही किया और कुछ ही दिनों में लकड़ी के तख्तों पर लगे सभी कीलों को हटा दिया और खुशी-खुशी अपने पिता को बताया।

तब पिता उसे लकड़ी के तख्तों पर ले गया और कहा, “बेटा, तुमने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन क्या तुम लकड़ी में छेद देख सकते हो? अब यह पहले जैसा कभी नहीं हो सकता। जब आप गुस्से में कुछ कहते हैं, तो यह सामने वाले व्यक्ति पर गहरा निशान छोड़ देता है।

लड़के को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने भविष्य में दोबारा नाराज न होने की कसम खाई और जिनके दिल को ठेस पहुंची उनसे माफी भी मांगी।

कई बार लोग गुस्से में ऐसी बातें कह देते हैं जो नहीं कहनी चाहिए। इसके लिए उन्हें बाद में पछताना पड़ सकता है, लेकिन बात लोगों के दिल में होती  है। इससे आपकी छवि भी खराब होती है।