डिंपल ने बचाया मुलायम का किला..! उपचुनावों में BJP को 'कहीं खुशी तो कही गम'


स्टोरी हाइलाइट्स

देश के 5 राज्यों की 6 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की काउंटिंग जारी है. बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट भाजपा जीत गई है. उधर, UP की मैनपुरी लोकसभा सीट पर डिंपल यादव 2 लाख वोटों से आगे हैं. यहां भाजपा के कैंडिडेट रघुराज शाक्य उनके सामने हैं. तो वहीं, रामपुर में भी बीजेपी ने जीत हासिल कर ली हैं..!

गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रिकॉर्ड तोड़ जीत तो मिली लेकिन हिमाचल प्रदेश और उपचुनाव रिजल्ट ने इसे थोड़ा फ़ीका कर दिया. हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बन रही हैं तो वहीं 6 विधानसभा, 1 लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के रिजल्ट में बीजेपी सिर्फ़ 2 जगहों पर जीत दर्ज करती हुई नजर आ रहीं है. बीजेपी की उपचुनाव में 'कहीं खुशी तो कही गम' वाली स्थिति हैं.

जानिए उपचुनाव का पूरा अपडेट-

बता दें कि यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट के आलावा 6 विधानसभा सीटों में यूपी की रामपुर और खतौली, बिहार की कुढ़नी, छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर, राजस्थान की सरदारशहर, ओडिशा की पदमपुर सीट शामिल है.

मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीट सबसे अहम-

अगर चुनावी रुझानों की बात करें तो मैनपुरी लोकसभा सीट पर डिंपल यादव करीब 2 लाख वोटों से आगे चल रही हैं. साथ ही यूपी की रामपुर सीट पर बीजेपी और खतौली में RLD आगे चल रहीं है. राजस्थान की सरदारशहर और छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट पर कांग्रेस आगे हैं. ओडिशा की पदमपुर विधानसभा सीट पर BJD और BJP के बीच कड़ा मुकाबला जारी है. बिहार की कुढ़नी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार चुनाव जीत गए हैं.

मैनपुरी तो बचाई लेकिन रामपुर गवाई-

कुछ मिलकर बीजेपी ने उपचुनाव में सिर्फ़ 2 सीटों पर जीत हासिल की हैं. इन दोनों ही सीटों (रामपुर-कुढ़नी) पर जीत हासिल कर बीजेपी ने राजनीतिक इतिहास बना दिया है. जानिए कैसे? रामपुर विधानसभा को सपा के दिग्गज नेता आजम खान का गढ़ माना जाता है. भाजपा ने यहाँ प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी. अब इस उपचुनाव में सपा के इस बड़े किले को फतह करने में सफलता पाई है. वहीं बिहार की कुढनी में भाजपा की जीत को इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद भाजपा ने इस सीट को छीना है. महागठबंधन में शामिल आठ पार्टियों पर इसे भाजपा की जीत माना जा रहा है. उपचुनाव से पहले इस सीट पर राजद का कब्जा था.

अगर राजनीतिक नज़रिए से देंखे तो बीजेपी के लिए यूपी की तीनों सीटें काफ़ी अहम् थी. मगर रुझानों में बीजेपी के खाते में यूपी की सिर्फ़ 1 सीट जाती हुई दिखाई दे रही हैं. वैसे भी यूपी की मैनपुरी सीट सपा की पारिवारिक विरासत कहलाती है. ऐसे में सपा ने जीत हासिल कर अपनी विरासत को संभाल लिया हैं.

जानिए मैनपुरी सीट कैसे बनी विरासत-

अगर मैनपुरी के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इसी सीट से 1996 में मुलायम सिंह यादव लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद 1998-99 में सपा के टिकट पर बलराम यादव ने जीत हासिल की थी. फिर 2004 में मुलायम सिंह चुनाव जीते लेकिन सीएम बनने के कारण उन्हें ये सीट छोड़नी पड़ी. उसके बाद हुए उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव ने जीत हासिल कर परिवार की विरासत को संभाले रखा.

मुलायम सिंह ने 2009 के लोकसभा चुनाव में फिर जीत हासिल कर सभी को चौंका दिया और अगला 2014 का चुनाव मैनपुरी और आजमगढ़ से लड़कर दोनों ही जगह सफल रहें लेकिन फिर बाद में मैनपुरी सीट छोड़ दी. जिस पर हुए उपचुनाव में तेज प्रताप यादव जीते थे.

मुलायम ने 2019 का लोकसभा चुनाव फिर मैनपुरी सीट से जीता लेकिन निधन के कारण ये सीट ख़ाली हो गई थी. अब आगे यादव परिवार की विरासत को संभाले रखने की बड़ी ज़िम्मेदारी डिंपल यादव पर है.

जमीन से सियासत तक का सफ़र-

22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में किसान परिवार के यहां मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था. गरीब परिवार से आने वाले मुलायम ने जमीन से सफ़र शुरू कर सियासत ने वह मुक़ाम हासिल किया, जो कई नेताओं के लिए सिर्फ़ सपना ही बनकर रह जाता है.

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. जमीन से जुड़ा होने के कारण जनता उन्हें प्यार से नेताजी या फिर धरती पुत्र कहकर बुलाती थी. शायद जनता के इसी प्यार ने मैनपुरी सीट को यादव परिवार की विरासत बना दिया. अब नेताजी के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर फिर से यादव परिवार का कब्ज़ा होने जा रहा हैं. बहू डिंपल यादव अब अपने ससुर की विरासत को संभालेंगी क्योंकि जनता ने उन्हें भरपूर आशीर्वाद दे दिया हैं.