मशहूर अभिनेता अतुल परचुरे का 57 साल की उम्र में निधन, बॉलीवुड में शोक की लहर


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स्टोरी हाइलाइट्स

अतुल परचुरे एक प्रतिभाशाली अभिनेता थे, जो पिछले एक साल से कैंसर से जूझ रहे थे। आखिरकार 14 अक्टूबर को अतुल जिंदगी की जंग हार गए..!!

मशहूर अभिनेता अतुल परचुरे का 57 साल की उम्र में निधन हो गया। एक्टर कैंसर से पीड़ित थे। उनके निधन से मनोरंजन जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। मंगलवार की सुबह 11 बजे शिवाजी पार्क में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

उन्हें 'द कपिल शर्मा शो' सहित कई टीवी धारावाहिकों और फिल्मों में उनके अभिनय के लिए जाना जाता था। अतुल परचुरे एक प्रतिभाशाली अभिनेता थे, जो पिछले एक साल से कैंसर से जूझ रहे थे। आखिरकार 14 अक्टूबर को अतुल जिंदगी की जंग हार गए।

महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर एक्टर के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, 'हमेशा अंतर्मुखी रहने वाले क्लासिक अभिनेता अतुल परचुरे की असामयिक मृत्यु दुखद है। अतुल परचुरे ने अपने शानदार अभिनय करियर की शुरुआत बच्चों के थिएटर से की थी। उन्होंने नाटक, फिल्म और धारावाहिक तीनों ही क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी। 

उन्होंने मराठी और हिंदी फिल्मों में भी बेहतरीन किरदार निभाए हैं। उनके निधन से मराठी ने एक महान अभिनेता खो दिया है। इन नुकसानों की भरपाई नहीं की जा सकती। परचुर के हजारों प्रशंसकों में से एक के रूप में, मैं परिवार के दुख में भागीदार हूं। भगवान उन्हें यह दर्द सहने की शक्ति दे।' मैं राज्य सरकार की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

अतुल परचुरे के साथी कलाकार संजय मिस्रा ने पोस्ट शेयर कर उनके निध्न पर दुक जताया है। उन्होंने लिखा है, 

Dhondu इतनी भी जल्दी क्या थी जाने की, अब मैं किस से बोलूंगा Just Chill. 

अभिनेता ने टेलीविजन और फिल्मों दोनों पर अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने 'आरके लक्ष्मण की दुनिया', 'जागो मोहन प्यारे', 'यम हैं हम', 'बड़ी दूर से आए हैं', 'द कपिल शर्मा शो' और कई मराठी धारावाहिकों और लोकप्रिय कॉमेडी शो में अपनी अभिनय क्षमता साबित की। टीवी के अलावा, अभिनेता हिंदी और मराठी फिल्मों में दिखाई दिए हैं, जहां वह अपनी कॉमेडी और कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों के पसंदीदा बन गए।

खासकर कॉमेडी के क्षेत्र में एक्टर ने गहरी छाप छोड़ी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल जुलाई में बॉम्बे टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में एक्टर ने खुलासा किया था कि कैंसर का पता चलने के बाद उनके लिए इसे स्वीकार करना आसान था। 

उन्होंने कहा, 'मैं मानसिक रूप से तैयार था कि मेरे साथ कुछ गलत हुआ है। सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के बावजूद, काम नहीं कर पाने के कारण उनकी "रातों की नींद हराम" हो गई। ऐसा नहीं है कि मेरे मन में नकारात्मक विचार नहीं थे। मैंने इस चिंता में कई रातें जागकर बिताईं कि मैं काम पर कब लौटूंगा। एक तरफ आमदनी बंद हो गई, वहीं खर्चे शुरू हो गए और कैंसर के इलाज का खर्च आसमान छूने लगा।

उसी इंटरव्यू में उन्होंने मेडिक्लेम के महत्व पर भी जोर दिया, जिससे उन्हें वित्तीय बोझ का प्रबंधन करने में मदद मिली। उन्होंने साझा किया, 'मेडिकैलम ने अपनी बचत से मुझे आंशिक रूप से बचाया, अन्यथा यह बहुत मुश्किल था। मैं कभी उदास नहीं हुआ क्योंकि मेरे परिवार ने कभी मेरे साथ मरीज़ की तरह व्यवहार नहीं किया।