दूसरों के सामने अपनी राय देना.. अपनी राय कैसे रखें?


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स्टोरी हाइलाइट्स

आमतौर पर हम अपनी बात रखने में संकोच महसूस करते हैं. खासतौर पर तब जबकि इसकी बहुत जरूरत होती है. यदि हम अपनी राय पर अडिग है हमारी राय सबके हित में तो हमें इसमें संकोच नहीं करना चाहिए. हमें अपनी राय स्पष्ट ढंग से दूसरों के सामने रखना चाहिए..!

अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से रखने का तरीका..!

अपना मत व्यक्त करना बहुत जरूरी है। यह बात अलग है कि दूसरे लोग आपकी राय से सहमत ना हो। लेकिन किसी की असहमति को अपना विरोध मत समझिए। सबका अपना सोचने का ढंग और नजरिया होता है। इसलिए कोई व्यक्ति यदि आपकी राय से सहमत नहीं है तो उस पर गुस्सा ना करें। प्रेम से उसका मत भी सुने। उसके नजरिए को जानने की कोशिश करें और उसे पूरी तरह से सुनने के बाद उसे फिर से पुनर्विचार के लिए प्रेरित करें। अपनी बात पर अड़े रहने की जिद कई बार दूसरों की असहमति का कारण बन जाती है। इसलिए दूसरे आपकी बात से सहमत हों इसके लिए पहले उसके नजरिए को समझना जरूरी है। सामने वाले के नजरिए को जब तक नहीं समझा जाएगा वह आपकी बात से सहमत नहीं होगा। कई लोग शुरुआती बातचीत में स्वाभाविक रूप से किसी भी मत या वर्डिक्ट के खिलाफ बोलते हैं। उनका स्वभाव होता है शुरुआत में विरोध करना या असहमति व्यक्त करना। जबकि वह अंदर से सहमत होते हैं। इसलिए पहले अपनी बात शांति और धैर्य रखें फिर उसके बारे में दूसरों के मत को सुनें। भले ही वह विरोध में हो। इसके बाद फिर लोगों की आज्ञा लेकर उनसे अनुरोध करके, एक बार फिर से मैं अपनी बात को स्पष्टता से रखना चाहता हूं या चाहती हूं और प्रेम से उनसे फिर से पुनर्विचार का आग्रह करें। पहली बार में ही सभी लोग आपकी बात को मान जाए यह जरूरी नहीं है। यदि सामूहिक सहमति नहीं बन रही है तो व्यक्तिगत स्तर पर आप हर व्यक्ति से अलग-अलग मुलाकात करें और अपनी बात को उसे समझाने का प्रयत्न करें।

अपने व्यवसाय के स्थान पर, आप काम के लिए सहकर्मियों, वरिष्ठों और बाहरी लोगों से मिलते हैं।  आप जो काम कर रहे हैं उसकी दिशा निर्धारित करने या कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए भी चर्चाएँ होती हैं।  इस तरह की चर्चाओं में मतभेद होते हैं।  हर कोई चाहता है कि उसकी राय सुनी जाए। अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखने में सक्षम होना एक कौशल है। हमें अपनी राय पर अडिग रहना चाहिए, लेकिन हम अपनी राय व्यक्त करते समय जिद न करें।

कभी-कभी हम अपनी राय सही ढंग से व्यक्त नहीं कर पाते हैं।  जब किसी चीज के बारे में अपनी राय व्यक्त करने की बात आती है, तो सिर्फ सही बात कहने से आपको दूसरों को समझाने में मदद मिलती है।  इसलिए आपको इस तरह की चर्चाओं पर बिना किसी दबाव के अपने विचार व्यक्त करने चाहिए।  यदि आप किसी की राय से सहमत नहीं हैं, तो इसके पीछे कारण बताकर उन्हें मनाने का प्रयास करें, ताकि अन्य लोग आपकी राय पर पुनर्विचार कर सकें।

हम सभी सोचते हैं कि अन्य सहकर्मी या वरिष्ठ राय व्यक्त करते समय क्या महसूस करेंगे, या उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचेगी या नहीं। जिन मुद्दों पर खुलकर बात होनी चाहिए, वो होते नहीं दिख रहे हैं।  ऐसे में इस भावनात्मक जटिलता को दूर करने की कोशिश करें, ध्यान से सोचें और अपनी राय व्यक्त करें।  यह काम की सही दिशा निर्धारित करने में मदद करता है और आगे की गलतफहमी से बचा जाता है।

जब आप अपने व्यवसाय से संबंधित निर्णयों पर अपने विचार व्यक्त कर रहे होते हैं, तो हो सकता है कि आपके सहकर्मी या वरिष्ठ आपकी सभी राय से सहमत न हों, चाहे कितना भी उचित क्यों न हो।   आपको अपने सहकर्मियों या वरिष्ठों को यह समझाने की कोशिश करनी चाहिए कि आप जो राय प्रस्तुत कर रहे हैं वह आपके व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि व्यवसाय के लाभ के लिए है।

अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना जरूरी है।  यदि आप अपनी बात को जबरदस्ती थोपने की कोशिश करते हैं, तो हो सकता है कि दूसरे आपसे सहमत नहीं होंगे।  अगर आप  शांति और सोच-समझकर अपनी राय व्यक्त करते हैं तो दूसरे लोग आपकी राय का स्वागत करेंगे और साथ ही दूसरों को भी पता चल जाएगा कि आपका फैसला सही है और प्रगति की ओर ले जा रहा है।