ऑफिस में नकारात्मकता से ऐसे निपटें, खुशनुमा माहौल बनाने में इस तरह निभा सकती है भूमिका?


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स्टोरी हाइलाइट्स

बेवजह दूसरों से अपनी तुलना करके मन ही मन कुढ़ने की आदत से न केवल व्यक्ति के परफॉर्मेंस में गिरावट आती है बल्कि उनकी सेहत और निजी जीवन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है..!

कभी न कभी हर किसी के साथ एक ऐसा दौर जरूर आता है, जब अपने काम के प्रति उनके मन में नकारात्मक भावनाएं पैदा होने लगती हैं। बेवजह दूसरों से अपनी तुलना करके मन ही मन कुढ़ने की आदत से न केवल व्यक्ति के परफॉर्मेंस में गिरावट आती है बल्कि उनकी सेहत और निजी जीवन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। इसलिए जब भी आपके मन में करियर के प्रति उदासीनता आने लगे तो सचेत तरीके से इस मनोदशा से बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए।

पहचानें अपनी खामियां

ऑफिस में काम बहुत ज्यादा है, सबसे ज्यादा बोझ मुझ पर ही है, दूसरी कंपनियों में काम करने वाले मेरे दोस्तों की सैलरी कितनी अच्छी है और मैं...? ऐसे नकारात्मक विचारों का अंतहीन सिलसिला व्यक्ति को दिनों दिन निराशा के गर्त में धकेल रहा होता है पर वह इस बात से बेखबर होता है कि ऐसी सोच उसके लिए कितनी नुकसानदेह है। अगर आपके मन में भी कभी ऐसे ख्याल आते हों तो उन्हें दूर करने के लिए सबसे पहले तटस्थ होकर इस बात पर विचार करना चाहिए कि अपनी कार्यशैली में आपको कहां बदलाव लाने की जरूरत है और क्यों? अपनी कमजोरियों को पहचान कर उन्हें सुधारने की कोशिश में जरा भी संकोच ने बरतें क्योंकि यहीं से सफलता की शुरुआत होती है।

जरूरी है लगाव

जब व्यक्ति को अपने काम से लगाव होगा तभी उसे सच्ची खुशी मिलेगी। इसका सबसे सही तरीका यही है कि व्यक्ति अपनी रुचि से जुड़े प्रोफेशन का चुनाव करे। अगर ऐसा संभव न हो तो अपने मौजूदा कार्य की बारीकियों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। इससे व्यक्ति के मन में उस कार्य के प्रति सहज ढंग से दिलचस्पी पैदा होगी। काम को ड्यूटी समझने के बजाय अगर उसे अपनी आदत में शामिल कर लिया जाए तो उससे हमें सच्ची खुशी मिलेगी।

भावनाओं पर नियंत्रण

आजकल करियर और मैनेजमेंट एक्सपर्ट सॉफ्ट स्किल्स को काफी अहमियत देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कार्य कुशलता के अलावा भावनात्मक संतुलन, हर तरह के लोगों के साथ सही तालमेल और बातचीत में शालीनता जैसे गुण भी व्यक्ति को कामयाबी दिलाने में मददगार होते हैं। तभी तो आजकल एमबीए के छात्रों को इंप्रेशन मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके तहत उन्हें प्रतिकूल स्थितियों में भी अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखते हुए कार्यस्थल पर संतुलित व्यवहार करना सिखाया जाता है।

अंत में, आपने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि खुशी के साथ किए जाने वाले हर काम का अंजाम हमेशा अच्छा ही होता है। इसलिए अपने प्रोफेशन के प्रति पॉजिटिव सोच रखने वाले लोग ऑफिस में भी हमेशा खुश रहते हैं।