ईरान-इजराइल युद्ध का असर, कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल के पार


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स्टोरी हाइलाइट्स

ईरान-इजराइल युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, कैसी है भारत की तैयारी..!!

ईरान-इजराइल युद्ध में अमेरिका के उतरने के बाद उसके डर से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है। कच्चा तेल अब 81 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है। हालांकि, भारत के लोगों के लिए राहत की बात है, क्योंकि, आज भी यहां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। देश की राजधानी नई दिल्ली में पेट्रोल 94.77 रुपये और डीजल 87.67 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है।

सोमवार 23 जून को तेल की कीमतें जनवरी के बाद अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई पहले सत्र में 3% से अधिक बढ़कर क्रमश: 81.40 डॉलर और 78.40 डॉलर पर पहुंच गए, जो पांच महीने के उच्चतम स्तर पर हैं। हालांकि, यह उछाल ज्यादा दिनों तक नहीं रहा। 

ब्लूमबर्ग के अनुसार, अगस्त में ब्रेंट क्रूड वायदा की कीमतें 2.61% बढ़कर 79.19 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। वहीं, डब्ल्यूटीआई की दर में भी 2.75% की तेजी आई। यह 75.87 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। कच्चे तेल के मोर्चे पर भारत की स्थिति अच्छी ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमले ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है कि तेहरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है। भारत के कुल तेल आयात का एक बड़ा हिस्सा इसी जलडमरूमध्य से होकर आता है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल के मोर्चे पर भारत की स्थिति अभी भी अच्छी है। विश्लेषकों ने कहा कि रूस से लेकर अमेरिका और ब्राजील तक, किसी भी कमी को पूरा करने के लिए वैकल्पिक स्रोत आसानी से उपलब्ध हैं। रूसी तेल को होर्मुज जलडमरूमध्य से बाहर रखा गया है, जो स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर के जरिए आता है। दूसरी ओर, अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से भी तेल आयात किया जा सकता है, हालांकि यह थोड़ा महंगा होगा। 

भारत का मुख्य आपूर्तिकर्ता कतर होर्मुज जलडमरूमध्य का उपयोग नहीं करता है। ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका में भारत के तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के अन्य स्रोत भी प्रभावित नहीं होंगे। हालांकि, विश्लेषकों ने कहा कि पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव का निकट भविष्य में कच्चे तेल की कीमतों पर असर पड़ेगा और कीमतें 80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं।

ईरान पर इजरायल के हमले के बाद बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच, भारत ने जून में रूस से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा दी। आंकड़ों से पता चला है कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियां जून में रूस से प्रतिदिन 2 मिलियन से 2.2 मिलियन बैरल कच्चा तेल खरीद रही हैं। यह दो साल में सबसे अधिक आंकड़ा है।

इसके साथ ही यह इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कुवैत से खरीदी गई कुल मात्रा से भी अधिक है। मई में रूस से भारत का तेल आयात 1.96 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) था। वहीं, जून में अमेरिका से तेल आयात भी बढ़कर 4,39,000 बीपीडी हो गया। पिछले महीने यह आंकड़ा 2,80,000 बीपीडी था।