भोपाल: मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री डॉ. मोहन यादव के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। कान्हा और पेंच नेशनल पार्क उत्तराखंड के जिम कार्बेट को हरा के नंबर वन और नंबर टू बन गये हैं। कान्हा टाइगर रिजर्व को बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके साथ ही यह देश में शाकाहारी वन्य-जीवों की सर्वाधिक जनसंख्या वाला टाइगर रिजर्व भी बन गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पर्यावरणीय और संरक्षण सोच की बदौलत ही संभव हो पाया। उनकी पहल ही प्रदेश अब वन्य-जीव संरक्षण की दिशा में राष्ट्रीय नेतृत्व की भूमिका निभा पा रहा है।
भारतीय वन्य-जीव संस्थान, देहरादून द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। कान्हा टाइगर रिजर्व में शाकाहारी जीवों की कुल संख्या 1,02,485 पाई गई है। यहां इनका घनत्व प्रति वर्ग किमी 69.86 प्रतिशत आंका गया है। वहीं, पेंच रिजर्व में 81,594 शाकाहारी जीव दर्ज किए गए, जिनका घनत्व 94.22% रहा। बांधवगढ़ में यह संख्या 74,838 है, जिसका घनत्व 55.15% है। डब्ल्यूआईआई ने इन आंकड़ों को आधार बनाते हुए यह रिपोर्ट जारी की है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस उपलब्धि पर पूरे वन विभाग को बधाई देते हुए कहा कि अन्य टाइगर रिजर्व भी इसी तरह संरक्षण और प्रबंधन के नए मानदंड स्थापित करें। बता दें कान्हा नेशनल पार्क अपने टाइगर्स के लिए देश- दुनिया में जाना जाता है और यहां सैलानी बाघ का दीदार करने आते हैं।
शाकाहारी वन्य-जीवों की संख्या में अव्वल..
रिपोर्ट के अनुसार, कान्हा टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्य-प्राणियों की कुल संख्या 1,02,485 दर्ज की गई है, जो देश में सर्वाधिक है। प्रति वर्ग किलोमीटर इनका घनत्व 69.86 है। रिजर्व का कुल बायोमास 12.6 लाख किलोग्राम आँका गया है। प्रमुख प्रजातियों में चीतल, सांभर, गौर, जंगली सुअर, बार्किंग डियर, नीलगाय और हॉग डियर शामिल हैं। इनकी संतुलित उपस्थिति और लगातार बढ़ती संख्या के चलते यह क्षेत्र बाघों के लिए आदर्श प्राकृतिक आवास बन गया है।
प्रबंधन की स्मार्ट रणनीतियां..
कान्हा में बाघ संरक्षण की सफलता का श्रेय इसकी स्मार्ट और सुदृढ़ प्रबंधन नीतियों को दिया गया है। इसमें ग्रास लैंड का नियमित रखरखाव, जल स्रोतों का निर्माण और लेंटाना जैसी अवांछित वनस्पतियों का उन्मूलन , गर्मियों में जल संकट से निपटने के लिए सोलर बोरवेल्स और जलकुंडों का विकास एम-STRIPES ऐप से निरंतर निगरानी है। यानि देश में सर्वाधिक 88,600 किलोमीटर की निरंतर अप्रैल 2025 में 88,600 किलोमीटर गश्ती और निगरानी होती है।
पुनर्स्थापित ग्रास लैंड से बना बाघों के लिए स्वर्ग..
कोर क्षेत्र से गाँवों के पुनर्वास के बाद विकसित हुई नई ग्रासलैंड ने वन्य-जीवों को मानव हस्तक्षेप से मुक्त प्राकृतिक परिवेश दिया। चीतल और बारहसिंगा जैसी प्रजातियों को बेहतर आबादी प्रबंधन हेतु कम घनत्व वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया। विभिन्न घास-भूमियों को जोड़ने वाले वन्य-जीव गलियारों के निर्माण से गौर और बारहसिंगा को निर्बाध विचरण का अवसर मिला।
प्रशिक्षण और वैज्ञानिक मार्गदर्शन का लाभ..
वनकर्मियों को नियमित प्रशिक्षण और भारतीय वन्य-जीव संस्थान से मिले तकनीकी मार्गदर्शन ने संरक्षण प्रयासों को वैज्ञानिक और प्रमाणिक आधार दिया है। बंजर घाटी में अधिक घनत्व होने पर हालन घाटी में नई घास-भूमि विकसित की गई, जिससे शाकाहारी वन्य-प्रजातियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई।
कान्हा देश के टाइगर रिजर्व का मॉडल..
मध्यप्रदेश के मण्डला जिले में स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व 2074 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें 917.43 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया और 1134 वर्ग किलोमीटर बफर जोन है। यहाँ की विविध जैव-विविधता, मजबूत प्रबंधन और मानव-वन्य-जीव संघर्ष का न्यूनतम स्तर इसे देश के अन्य अभयारण्यों के लिए मॉडल बनाता है।