महाशिवरात्रि 2024: यह शहर भगवान भोलेनाथ को मानता है अपना दामाद, यहां रावण भी करता था शिव आराधना


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण भी आष्टा से निकलने वाली पार्वती नदी के तट पर स्थित पार्वती-शंकर के मंदिर में आया करता था..!!

भोपाल से 80 किमी दूर आष्टा कस्बे के लोग भगवान भोलेनाथ को अपना दामाद मानते हैं। आष्टा को माता पार्वती का मायका माना जाता है। यहां पार्वती-शंकर के मंदिर हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण भी आष्टा से निकलने वाली पार्वती नदी के तट पर स्थित पार्वती-शंकर के मंदिर में आया करता था।

आष्टा नगरी का उल्लेख कई ग्रंथों में भी मिलता है। आष्टा में पार्वती नदी के तट पर स्थित भूतेश्वर मंदिर के पुजारी हेमंत गिरी के अनुसार, यह मंदिर पांडव काल का है।

सीहोर के प्राचीन गणेश मंदिर की वास्तुकला के अनुसार भूतेश्वर मंदिर श्रीयंत्र के आकार में बनाया गया है। बाद में इस मंदिर का निर्माण मराठा शैली में पूर्व की ओर किया गया। इस मंदिर से सटी हुई बायीं ओर पार्वती नदी बहती है।

मंदिर के गर्भगृह में सिर के आकार में त्वचा के रंग का एक अद्भुत शिवलिंग स्थापित है, जिसके बायीं ओर भगवान कुबेर विराजमान हैं। मंदिर में माता पार्वती की एक प्राचीन मूर्ति भी स्थापित है। केंद्र में भगवान गणेश की एक सुंदर मूर्ति है। 

दामाद भगवान महादेव को मानते हैं:

मंदिर में स्थापित माता पार्वती की मूर्ति और पास में बहती नदी के कारण नगरवासी आष्टा को अपनी माता का पीहर मानते हैं, जबकि भगवान भोलेनाथ को अपना दामाद मानते हैं।

शहर में विभिन्न धार्मिक आयोजनों के अवसर पर निकली भगवान शिव की बारात में अष्टवासियों ने भगवान महादेव का दामाद की तरह स्वागत करते हैं।

कहा जाता है, कि देवता भी यहां शिव की पूजा करने आते थे। मान्यताओं के अनुसार अष्टवक्र जैसे ऋषियों ने भी यहां तपस्या की थी। ऋषि अष्टवक्र का माता पार्वती के साथ पवित्र माँ-बेटे का रिश्ता था। माता पार्वती का उद्गम स्थल भी आष्टा से कुछ किलोमीटर दूर बताया जाता है, इसलिए आष्टा शहर को माता पार्वती का पीहर कहा जाता है।