बिहार सरकार द्वारा जारी जातिगत सर्वे पर यथास्थिति का आदेश देने से मना कर दिया और अगली सुनवाई जनवरी में करने के लिए कहा है. बेंच ने कहा कि हम किसी राज्य सरकार को नीति बनाने या काम करने से नहीं रोक सकते. सुनवाई में उसकी समीक्षा कर सकते हैं.
बेंच के अध्यक्ष जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित किया है और हमें भी विस्तार से ही सुनना होगा. ये बात भी सही है कि सरकारी योजनाओं के लिए आंकड़े जुटाना जरूरी है. हम आप सभी को सुनना चाहेंगे.
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा ने नोटिस जारी कर अगली सुनवाई जनवरी में किये जाने का निर्णय दिया. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने निवेदन किया कि यथास्थिति का आदेश जारी कर दीजिए तो इस पर न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा अभी नहीं कर सकते.
गौरतलब है कि बिहार सरकार के जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी किये जाने के बाद सियासी दल इसे लेकर काफी मुखर नज़र आ रहे हैं. कांग्रेस ने पूरे देश में जातिगत आंकड़े जारी किये जाने की मांग करते हुए आबादी के हिसाब से हक़ दिये जाने की मांग बुलंद कर दी है. साथ ही जातिगत सर्वे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है.