जम्मू के रियासी में श्रद्धालुओं से भरी बस पर आतंकियों के हमले के बाद 29 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा अब खतरे में पड़ गई है। बाबा बफार्नी के दर्शन के लिए यात्रा 19 अगस्त तक चलेगी। इसे ध्यान में रखते हुए, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी पूरे राज्य की सुरक्षा समीक्षा की ताकि यह पता चल सके कि प्रत्येक बिंदु पर खतरे का स्तर क्या है और वहां किस स्तर की सुरक्षा की आवश्यकता है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मंगलवार को रियासी बस हमला मामले में 20 संदिग्धों को हिरासत में लिया और पूछताछ की।
आशंका है कि हमले में एक स्थानीय व्यक्ति भी शामिल था, जो पर्दे के पीछे से आतंकियों की मदद कर रहा था। इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और सीआरपीएफ की संयुक्त बलों की 11 टीमें जंगलों और पहाड़ों में फरार आतंकियों की तलाश कर रही हैं। इसके लिए हेलीकॉप्टर, ड्रोन और खोजी कुत्तों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
यह भी संदेह है कि 4 मई को पुंछ जिले के सुरनकोट में वायु सेना के काफिले पर हुए हमले में आतंकवादी शामिल थे। संभवतः रियासी हमले में भी यही आतंकी शामिल हो सकते हैं। पाकिस्तानी सेना के पूर्व कमांडो, लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर अबू हमजा और अदुन नामक एक अन्य आतंकवादी पर भी हमले को अंजाम देने या आतंकवादियों को हमले को अंजाम देने के निर्देश देने का संदेह है। 32 साल के अबू हमजा पर 10 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है।
आपको बता दें, कि बस पर हुए आतंकी हमले में 9 लोगों की मौत हो गई थी। जिसमें बस ड्राइवर विजय कुमार और कंडक्टर अर्जुन कुमार की बहादुरी का भी जिक्र किया जा रहा है। सैनिकों की वेशभूषा में आए आतंकियों ने जब ड्राइवर से बस रोकने को कहा तो उसने इसका अहसास होने पर बस नहीं रोकी। जिसमें आतंकियों ने बस और टायरों पर फायरिंग की. बस खाई में गिर गई। घायलों में 10 लोगों को गोली लगी है। इस हमले में 9 लोगों की मौत हो गई और 41 लोग घायल हो गए।