अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान डीएमके सांसद कनिमोझी ने क्रेंद्र सरकार पर तंज कसते हुए महाभारत का जिक्र किया और कहा कि न सिर्फ द्रौपदी के गुनहगारों को सजा मिली, बल्कि पास खड़े लोगों को भी सजा मिली।
इस पर क्रेंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन् ने विपक्ष को जवाब दिया। उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में हिस्सा लिया और सरकार पर हमलावर विपक्षी दलों पर निशाना साधा। इसी क्रम में वित्त मंत्री ने तमिलनाडु विधानसभा में जयललिता के साड़ी खींचने का जिक्र करते हुए डीएमके पर निशाना साधा।
निर्मला सीतारामन् के बयान से पहले डीएमके सांसद को कनिमोझी का बयान याद आता है, जो उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान सदन में दिया था. कनिमोझी ने कहा कि जो लोग महाभारत को ध्यान से पढ़ते हैं उन्हें पता होगा कि अंत में न केवल द्रौपदी के अपराधियों को सजा मिली, बल्कि उन्हें भी सजा मिली जो इस बीच चुप रहे। जिस तरह से वे (केंद्र) हाथरस, कठुआ, उन्नाव, बिलकिस बानो और पहलवानों के विरोध पर चुप रहे, उन्हें भी सजा मिलेगी।”
निर्मला सीतारामन् ने कहा, ''मैं इस बात से सहमत हूं कि महिलाओं की पीड़ा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए - कहीं भी चाहे वो मणिपुर हो दिल्ली या फिर राजस्थान। इस सदन में द्रौपदी की चर्चा के अलावा कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए, मैं इस पूरे सदन को 25 साल के लिए बधाई देना चाहती हूं।'' मैं आपको मार्च 1989 में तमिलनाडु विधानसभा में हुई एक घटना की याद दिलाना चाहती हूं।"
निर्मला सीतारामन् ने कहा, " तमिलनाडु विधानसभा में जयललिता की साड़ी खींची गई थी। वह विपक्ष की नेता थीं तब सीएम नहीं थीं। उस पवित्र सदन में जब उनकी साड़ी खींची गई तो सत्तारूढ़ डीएमके के सदस्य बैठे थे।" वहां उन्होंने उसका उत्साह बढ़ाया।" उन्हें धक्का दिया और उस पर हंसे। क्या डीएमके जयललिता को भूल गई है? आपने उनकी साड़ी खींची, आपने उनका अपमान किया।”
सीतारामन् ने कहा, 'जयललिता ने उस दिन शपथ ली थी कि जब तक वह सीएम नहीं बन जाएंगी, तब तक सदन में प्रवेश नहीं करेंगी।' दो साल बाद, वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में लौटी। सदन में महिला की साड़ी खींचने वाले लोग उस पर हंस रहे थे। आज वे द्रौपदी के बारे में बात कर रहे हैं।