सुप्रीम कोर्ट पहुँची थी इंडिया को भारत करने की याचिका, जानिए फैसला


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स्टोरी हाइलाइट्स

इसे लेकर कांग्रेस ने जहाँ मोदी सरकार पर सवाल उठाये हैं..!

जी-20 समिट के डिनर के लिए भेजे गए राष्ट्रपति के निमंत्रण पत्र पर विवाद छिड़ गया है।  निमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा है। इसे लेकर कांग्रेस ने जहाँ मोदी सरकार पर सवाल उठाये हैं। वहीं मोदी सरकार ने कांग्रेस की नीति नियत को कटघरे में खड़ा किया है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि तीन साल पहले भारत नाम बदलने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि INDIA को भारत बनाने के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि चूंकि इंडिया ग्रीक शब्द इंडिका से बना है, इसलिए यह नाम हटा दिया जाना चाहिए।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि इंडिया का मतलब भारत है। तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट में मामला क्यों उठाया, जबकि संविधान में साफ कहा गया है कि 'भारत है'।

इस बीच याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से इस मांग को संबंधित मंत्रालय तक भेजने की इजाजत मांगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 का हवाला दिया गया है, जिसमें इंडिया नाम का इस्तेमाल किया गया है, याचिकाकर्ता ने उसी अनुच्छेद में संशोधन की मांग की है।

अब एक बार फिर से इंडिया शब्द पर हंगामा शुरू हो गया है। राष्ट्रपति का निमंत्रण पत्र सामने आने के बाद कई विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी ताकतों ने पूछा है कि कल को अगर किसी गठबंधन का नाम भारत रखा जाएगा तो क्या बीजेपी उसे भी बदल देगी?