राष्ट्रप्रेम हमारी चिंतन परंपरा, देश में विकसित हो रहा ईको कल्चरल सिस्टम


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स्टोरी हाइलाइट्स

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राजधानी में किया तीन दिवसीय उत्सव 'उत्कर्ष व उन्मेष' का शुभारंभ

साहित्य और कला ने संवेदनशीलता को बचाए रखा है। देश की जनजतीय व लोक अभिव्यक्तियों पर केंद्रित राष्ट्रीय उत्सव 'उत्कर्ष व उन्मेष' जैसे आयोजनों से देश में ईको कल्चरल सिस्टम डेवलप हो रहा है। राष्ट्रप्रेम हमारी चिंतन परंपरा है। साहित्यकार का तथ्य इतिहासकार से ज्यादा प्रमाणित होता है।

यह बात राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने केंद्रित राष्ट्रीय उत्सव 'उत्कर्ष व उन्मेष' का शुभारंभ करते हुए कही। इसमें देशभर से साहित्यकार व कलाकार भाग ले रहे हैं यह आयोजन तीन दिन चलेगा। 

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी सबसे ज्यादा यात्राएं मध्यप्रदेश में हुई। आज 140 करोड़ देशवासी मेरा परिवार है और सभी बोलियां मेरी अपनी है। उन्होंने अपनी बातों में जयशंकर प्रसाद की कविताएं व बांग्ला साहित्य का भी उल्लेख किया। 

इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि साहित्य और कलाकारों को सामने लाने के लिए उत्कर्ष - उन्मेष जैसे कार्यक्रम होना जरूरी हैं। मप्र प्राचीनकाल से कला और संस्कृति की मातृभूति रही है। राजाओं द्वारा भी इसे संरक्षण दिया गया है।

मप्र की धरा से लता मंगेशकर, किशोर कुमार, पंडित कुमार गंधर्व जैसे गायक पैदा हुए। दादा माखनलाल जैसे साहित्यकार जन्मे और दुनिया में नाम रोशन किया है। वहीं, राज्यपाल मंगुभाई ने कहा कि कला और संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का यह आयोजन एक सराहनीय प्रयास है। इससे पहले भोपाल पहुंचने पर रिमझिम फुहारों के बीच विमानतल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। यह आयोजन 36 राज्यों के आठ सौ कलाकारों व साहित्यकारों की मौजूदगी में चलेगा।