पुणे पोर्शे, एक्सीडेंट...अमीरजादे का खुल्ला खेल


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स्टोरी हाइलाइट्स

कानून के लम्बे हाथ भी इस अमीरजादे का कुछ नहीं बिगाड़ पाए, अमीरजादे ने पहले छककर शराब पार्टी की, फिर बिना रजिस्ट्रेशन विदेशी गाडी को दौ सौ की स्पीड में दौड़ाकर दो मासूम जिंदगियों को पहियों के नीचे रौंद डाला..!!

जेब में पैसे हो तो हत्या की सजा भी निबन्ध तक आकर सिमिट जाती है। जी हां ऐसा हुआ है वो भी हमारे अपने देश में। कानून के लम्बे हाथ भी इस अमीरजादे का कुछ नहीं बिगाड़ पाए। अमीरजादे ने पहले छककर शराब पार्टी की। फिर बिना रजिस्ट्रेशन विदेशी गाडी को दौ सौ की स्पीड में दौड़ाकर दो मासूम जिंदगियों को पहियों के नीचे रौंद डाला।

फिर भी न कोई खौफ और न इंसानियत का थोडा भी लिहाज। इतनी घ्रणित हरकत लेकिन अमीरजाड़े के सामने कानून के रखवालों ने पलक पांवड़े बिछाकर अपना असल जमीर दिखा दिया। हद तो तब और हो गई जब अदालत ने भी आँखों को मूंदकर सिर्फ और सिर्फ निबन्ध लिखने की सजा देते हुए जमानत दे दी।

महाराष्ट्र के पुणे में एक बार फिर कानून पर पैसा हावी हो गया। सोचिये इस अमीरजादे की वजह से जिस मासूम अनीश और अश्वनी को  अपनी जान से हाथ धोना पद गया, उनकी आत्मा किस कदर दुखी होगी। अमीरजादे के पिता पुणे के एक बड़े रीयल स्टेट कम्पनी का मलिक हैं।

पिता ने मजबूरों को आशियाने के नाम पर जमकर धन चूसा होगा शयद तभी अपने बिगडैल बेटे की काली करतूत छिपाने के लिए पानी की तरह से पैसा बहा दिया। सभी जिम्मेदार बहती धन की नदी में खूब गोते मार रहे हैं। लेकिन उफ़, जिन घरों पर इस अमीरजादे का कहर टूटा..उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं।

अमीरजादे की महंगी विदेशी गाडी पोर्शे, जिसकी कीमत लगभाग दो करोड़ थी, उसका नियमनुसार रजिस्ट्रेशन ही नही हुआ था लेकिन यह गाड़ी बैखौफ होकर सड़कों को रौंदती रही लेकिन हेलमेट चालान के नाम पर आम लोगों को परेशान करने वाली खाकी की नज़र इस अमीरजादे की लकदक गाड़ी पर न पड़ी।

यह हत्यारा शख्स इतना मालदार था कि इस घटना के पहले एक सीटिंग में लगभग एक लाख रूपये की शराब पार्टी कर चूका था। मामला अब तूल पकडडता जा रहा है। हत्या की घटना को अंजाम देने वाला यह अमीरजादा बच तो ना सकेगा, यह तो सौ फीसदी तय है।

उसके साथियों पर भी गिरफ्तारी का साया मंडरा रहा है। यानी कि धन का बल नही चल पायेगा लेकिन सोचियेगा ज़रूर इस तरह के अमीरजादों को अक्ल कब आएगी?

कब धनवानों के बीच भी कानून का खौफ होगा?

कब अमीर ..गेक आम आदमी की जान की कीमत को समझ सकेंगे?

कब ..बिना बवाल ..आम इन्सान को इन्साफ हासिल होगा?