वन नेशन-वन इलेक्शन: MP चुनाव की तारीख में भी फेरबदल की अटकलें


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स्टोरी हाइलाइट्स

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में समिति, मिलने पहुंचे जेपी नड्डा..!

केंद्र की मोदी सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन के फार्मूले पर एक पुख्ता कदम और बढा दिया है। आज पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर कमेटी बना दी गई है। कमेटी में कौन- कौन सदस्य होगा इसका नोटिफिकेशन दोपहर तक जारी हो सकता है। यह कदम सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद आया है, जिसका एजेंडा गुप्त रखा गया है। 

उल्लेखनीय है कि कुछ वर्षो से प्रधानमंत्री ने लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की वकालत मजबूती से की भी है। अब इस पर विचार करने के लिए रामनाथ कोविंद को जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय, चुनावी दृष्टिकोण के मेजबान के रूप में सरकार की गंभीरता को प्रदर्शित कर रहा है। क्योंकि नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव होंगे। सरकार के इस कदम के बाद मध्यप्रदेश में भी चुनाव की तारीखों में फेरबदल की अटकलें शुरू हो गई हैं।

शिवसेना बोली- जनमत का ध्यान रखें, कांग्रेस के सिंहदेव सहमत

वहीं वन नेशन, वन इलेक्शन कमेटी के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (उद्धव गुट) के अनिल देसाई ने कहा, मुझे मीडिया के माध्यम से जानकारी मिल रही है. इस तरह की बातें फैलाना ठीक नहीं है। 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं सरकार को ये देखना चाहिए कि देश के लोग क्या चाहते हैं, उनके मत को भी ध्यान में रखना चाहिए। वहीं छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने एक देश एक चुनाव के मुद्दे का समर्थन करते हुए कहा है कि व्यक्तिगत स्तर मैं एक देश एक चुनाव का स्वागत करता हूं. यह नया नहीं, पुराना ही आइडिया है।

ऐसे साथ हो सकेंगे चुनावः समय से पहले भंग होंगी कुछ राज्यों की विस

विकल्प 1: कुछ राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही होते हैं जबकि कुछ राज्यों में लोकसभा से कुछ महीने पहले या बाद में होते हैं। ऐसे में कुछ राज्यों में विधानसभा समय से पहले भंग करके और कुछ का कार्यकाल बढ़ाकर लोकसभा चुनाव के साथ ही चुनाव कराए जा सकते हैं। यदि यह फार्मूला बना तो मप्र, छग, राजस्थान में चुनाव की तारीख बढ़ भी सकती है।

दरअसल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव से चार महीने पहले होने हैं। इसी तरह आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा और सिक्किम में लोकसभा चुनाव के कुछ ही महीनों बाद होंगे। ऐसे में जिन राज्यों में पहले चुनाव होने हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जाए और जहां बाद में चुनाव होने हैं, वहां समय से पहले विधानसभा भंग की जाए तो फिर अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव के साथ ही यहां विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।

विकल्प 2 : कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के दो साल बाद खत्म होती है। ऐसे में दो फेज में चुनाव कराए जा सकते हैं, पहले फेज में लोकसभा के साथ ही कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव हो जाएं. और दूसरे फेज में बाकी बचे राज्यों के चुनाव हो जाएं. ऐसा होता है तो पांच साल में दो बार ही विधानसभा चुनाव होंगे।