कई बार नौकरी के सिल-सिले में माता-पिता को एक शहर से दूसरे शहर में जाना पड़ता है। ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, तो वे हैं बच्चे। सेशन के एंड में ट्रांसफर होने पर तो कई बार बच्चों का एडमिशन ट्रांसफर वालें नए शहर में कराया जाता है, लेकिन जब बीच सेशन में ट्रांसफर हो जाता है, तो ये और भी मुश्किल हो जाता है। वहीं जब दोनों पेरेंट्स वर्किंग हों, तो बच्चों और माता-पिता की परेशानियां और भी बढ़ जाती हैं।
ऐसी ही कहानी जयपुर में रहने वाली 12 साल की अर्चिता और अर्चना की है। दोनों बहनें 7वीं कक्षा में पढ़ती हैं। माता-पिता का ट्रांसफर अलग-अलग जगह पर हो जाने से बालिकाओं को अपने चाचा-चाची के पास रहकर पढ़ाई करनी पढ़ रही है। दोनों बच्चियां अपने माता-पिता के साथ रहकर पढ़ाई करना चाहती हैं। जिसके लिए उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
बच्चियों ने पत्र में लिखा है। हमारे पिताजी का नाम श्री देवपाल मीना तथा मातादी का नाम श्रीमती हेमतला कुमारी मीना है। हमारे पिताजी पंचायक समिति चौहटन में सहायक लेखाधिकारी के पद पर काम करते हैं। तथा हमारी माताजी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, देवडा ब्लॉक, समदडी (बालोतरा) में अध्यापिका (लेवल-2, विषय-हिंदी) के पद पर काम करती है। बच्चियों ने पत्र में लिखा है, कि हम दोनों बहनें अपने माता-पिता को बहुत याद करती हैं और हम उनके बिना पढ़ाई भी नहीं करना चाहते हैं।

हम दोनों चाहते हैं कि हमारे माता-पिता जयपुर, राजस्थान में स्थानांतरित हो जाएं। और हम भी अपने माता-पिता के साथ जयपुर में रहना चाहते हैं और वहीं पढ़ाई करना चाहते हैं। हमने आपके कई अभियान जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना आदि सुने और देखे हैं।
उनसे हमें बहुत प्रेरणा मिली। हमें भी अपने माता-पिता के साथ रहना है और उन्हें गौरवान्वित करना है। कृपया हमारे माता-पिता को जगतपुरा, जयपुर में स्थानांतरित कर दें। हम आपके बहुत आभारी रहेंगे। पत्र के बाद दोनों बहनों ने उन्हें धन्यवाद देते हुए अपना नाम भी लिखा है।
कई अध्ययन बताते हैं कि कम उम्र में माता-पिता के बिना रहने से बच्चों की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कई माता-पिता जब छोटे शहरों और कस्बों में तैनात होते हैं तो अपने बच्चों को अपने रिश्तेदारों के पास रखकर पढ़ाते हैं ताकि बच्चे अच्छी जगह से पढ़ाई करें। ऐसे में बच्चे अपने माता-पिता को बहुत याद करते हैं और सोचते हैं कि वे उनके साथ कब रहेंगे, कितने दिन रहेंगे और क्या उन्हें अपने रिश्तेदारों के घर जाकर पढ़ाई करनी पड़ेगी। जैसे कई सवाल उठ खडे होते हैं।