उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार सुबह बड़ा हादसा हो गया। भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में लगी आग में 14 लोग झुलस गए। हादसे पर मंदिर के पंडित-पुजारियों का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि रासायनिक रंगों से होली खेलने के कारण आज की घटना सामने आयी है।
इतिहास में पहली बार महाकालेश्वर मंदिर में आग लगने की घटना सामने आई है। पुजारी महेश ने बताया कि होली पर मंदिर में हर्बल रंगों का प्रयोग किया जाता है। इस बार होली केमिकल वाले रंगों और गुलाल से खेली जा रही है। पंडित-पुजारी भी हादसे की जांच कर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
आग की घटना में पुजारी के परिवार के तीन सदस्य घायल हो गए, जबकि सेवक और भक्त भी झुलस गए। महाकालेश्वर मंदिर में होली के दौरान गर्भगृह के ऊपरी हिस्से को कपड़े से ढक दिया जाता है। जिसका उद्देश्य गर्भगृह के ऊपर स्थित चांदी के श्रीयंत्र को रंगों से बचाना है। होली के मौके पर महाकालेश्वर मंदिर में व्यापक इंतजाम किये गये थे। कहा जाता है कि कपूर के कारण गर्भगृह में अचानक आग लग गई। आग में गंभीर रूप से झुलसे एक व्यक्ति को इंदौर भेजा गया है।
महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी घनश्याम गुरु ने बताया कि पहले बाबा महाकाल और पुजारी के बीच होली उत्सव मनाया जाता था. पिछले कुछ समय से भक्त गुलाल और रंगों के साथ महाकालेश्वर मंदिर में पहुंचने लगे हैं। इसके बाद भक्तों और भगवान के बीच होली का त्योहार शुरू हो गया।
उन्होंने कहा कि पहले होली गुलाल और हर्बल रंगों से खेली जाती थी लेकिन इस बार रासायनिक रंगों का भी इस्तेमाल किया गया जिसके कारण आज की घटना सामने आई है। पंडित व पुरोहित परिवार ने अग्निकांड की निंदा करते हुए जांच की मांग की है। उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के मुताबिक आदेश दे दिया गया है।