देवों के देव महादेव के प्रिय महीने सावन का 17 जुलाई दूसरा सोमवार है। शुभ मुहूर्त और योगों में शिवजी की पूजा के लिए शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। शहर में सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करते नजर आए।
सावन के दूसरे सोमवार को बाबा महाकाल को स्नान कराया गया। इसके बाद भस्म अर्पित की गई। रजत का त्रिपुण्ड, त्रिशूल और चंद्र अर्पित कर शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ फूलों की माला भी धारण कराई गई।
सावन के दूसरे सोमवार पर 4 शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन सावन की हरियाली अमावस्या और सोमवती अमावस्या है। इसके अलावा रुद्राभिषेक के लिए शिववास और पुनर्वसु नक्षत्र भी है।
पूजा विधि-
सावन के दूसरे सोमवार पर सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में शिव मंदिर जाकर भगवान की पूजा करें. अगर घर पर शिवलिंग स्थापित है तो आप घर पर भी पूजा कर सकते हैं. पूजा के लिए सबसे पहले, गंगाजल,शुद्ध जल या कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें. फिर चंदन का तिलक लगाएं.
अब अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग के पत्ते, शमी के पत्ते, धतूरा, भस्म, इत्र, शहद, फल आदि अर्पित करें. इसके बाद धूप-दीप दिखाकर शिव जी की आरती करें. इस दिन शिवजी के मंत्रों का जाप करना और शिव चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती है.
शिवजी के मंत्र-
सावन के दूसरे सोमवार पर इन मंत्रों का करें जाप ..
ॐ नम: शिवाय,
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ नमो भगवते रुद्राय,
ॐ हं हं सह:,
ॐ नमः शिवाय व्योमकेश्वराय,
ॐ पार्वतीपतये नमः,
ॐ नमः शिवाय गङ्गाधराय,
ॐ नमः शिवाय शान्ताय,