CAA Notification Hearing Update: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार यानी 19 मार्च को केंद्र सरकार के जरिए लागू किए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने 200 से अधिक याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में सीएए और नागरिकता संशोधन नियम 2024 को भी लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिकाओं पर जवाब देने के लिए समय देने का अनुरोध सही है. जिन याचिकाओं या आवेदन पर नोटिस नहीं जारी हुआ है, उन पर भी नोटिस जारी किया जा रहा है. एक उचित समय के बाद सुनवाई होगी. तभी रोक पर भी विचार करना सही होगा.
इस पर याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने कहा कि रोक तुरंत लगनी चाहिए. सीजेआई ने सरकार से सवाल किया कि आप कब तक जवाब दाखिल करेंगे. इस पर सरकार की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, चार हफ्तों में जवाब दिया जाएगा. वहीं, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सीएए के संसद से पारित होने के 4 साल से भी अधिक समय बाद इसे लागू किया गया है. एक बार किसी को नागरिकता दे दी गई, तो उसे वापस लेना कठिन होगा. इसलिए अभी रोक लगनी चाहिए. सरकार जवाब के लिए समय चाहती है, कोई समस्या नहीं, पर अभी रोक लगाई जाए.
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या आप दो हफ्ते में जवाब दे सकते हैं? इस पर केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि 236 याचिकाएं और 20 आवेदन हैं. हमें इनका जवाब देने में समय लगेगा. इसके लिए चार सप्ताह का समय सही रहेगा. वहीं, याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुईं वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि तब तक नागरिकता देने पर रोक लगाई जानी चाहिए.
हालांकि, सॉलिसीटर जनरल ने सुनवाई के दौरान बताया कि नागरिकता का आवेदन मिलने से लेकर उसे देने की प्रक्रिया काफ़ी लंबी है. एकदम से किसी को नागरिकता नहीं मिलती. अगर किसी को दी भी गई तो याचिकाकर्ताओं का कुछ नहीं बिगड़ जाएगा. बलूचिस्तान हिन्दू पंचायत के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि हम लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. अगर अब नागरिकता मिल रही है तो बाधा नहीं डालनी चाहिए.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे बताया कि सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब के लिए 3 हफ्ते का समय दिया जा रहा है. इस मामले पर 9 अप्रैल को अगली सुनवाई करेंगे. वहीं, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर इस दौरान किसी को नागरिकता मिली तो हम दोबारा कोर्ट आएंगे. तभी वकील निजाम पाशा ने कहा कि सीएए की वजह से मुस्लिमों की नागरिकता पर खतरा है.
सॉलिसीटर जनरल ने जवाब देते हुए कहा कि ये एनआरसी नहीं है. पहले भी लोगों को गुमराह कर उकसाया गया था, ऐसा करना गलत है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि दोनों पक्ष 5-5 पन्ने का लिखित संक्षिप्त नोट जमा करवाएं. साथ ही केंद्र सरकार 8 अप्रैल तक जवाब दें. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल सीएए कानून के अमल पर रोक नहीं लगाई जा रही है.