राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग करने वाले वाहन चालकों को सोमवार से अधिक भुगतान करना होगा। इसका कारण यह है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने देशभर में टोल दरें औसतन पांच फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है। टोल शुल्क बढ़ोतरी पहले 1 अप्रैल से लागू होनी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण बढ़ोतरी टाल दी गई थी।
राजमार्ग प्राधिकरण से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टोल शुल्क में प्रस्तावित बढ़ोतरी थोक मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के अंतर्गत लगभग 855 टोल प्लाजा हैं, जिन पर राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 के अनुसार उपयोगकर्ता शुल्क लगाया जाता है।
एक राजमार्ग अधिकारी ने कहा कि टोल शुल्क और ईंधन उत्पादों पर कर में वृद्धि से राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार में मदद मिलती है। हालाँकि, राजनीतिक दल और परिवहन सेवाओं से जुड़े संगठन टोल शुल्क में वार्षिक वृद्धि की आलोचना करते हैं।
उनका कहना है कि इससे आवश्यक वस्तुओं के परिवहन की लागत बढ़ जाती है और यात्रियों पर वित्तीय बोझ पड़ता है। टोल शुल्क बढ़ने से आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स और अशोक बिल्डकॉन लिमिटेड जैसी कंपनियों को फायदा होगा।
सरकार ने पिछले दशक के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार में अरबों डॉलर का निवेश किया है। देश की कुल राष्ट्रीय राजमार्ग लंबाई लगभग 1,46,000 किमी है, जो वैश्विक सड़क नेटवर्क में दूसरा सबसे बड़ा है। 2018-19 में टोल संग्रह लगभग 25 हजार करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 54 हजार करोड़ का हो जाएगा।