अद्वितीय प्रयास: उज्जैन में 18 पुराणों का 18 शैलियों में हो रहा चित्रांकन


स्टोरी हाइलाइट्स

प्रत्येक चित्र में दिखता कलाकार का सामर्थ्य और उद्देश्य

भोपाल । मध्यप्रदेश की धर्मनगरी उज्जैन में इन दिनों 18 पुराणों पर चित्रांकन करने का एक अद्भूत प्रयास हो रहा है। देश के ख्यात 18 चित्रकार 18 भिन्न लोकचित्र शैलियों में कैनवास पर वाटर कलर से चित्रकथा तैयार कर रहे हैं। अब तक 16 पुराणों के लगभग 2300 चित्र बूंदी, नाथद्वारा, पहाड़ी, अपभ्रंश आदि शैली में बनाए जा चुके हैं। प्रत्येक चित्र में कलाकार का सामर्थ्य और ईश्वर के प्रति भक्ति भाव जगाने का उद्देश्य स्पष्ट दिखाई पड़ता है। कुछ महीनों बाद सभी चित्र श्री महाकाल महालोक परिसर में स्थित त्रिवेणी संग्रहालय की नई बन रही कला दीर्घा में निहारे जा सकेंगे।

मालूम हो कि सनातन धर्म में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है। पुराण, हिन्दुओं के धर्म-सम्बन्धी आख्यान ग्रन्थ हैं, जिनमें संसार - ऋषियों - राजाओं के वृत्तान्त आदि हैं। ये पुराण हमें ईश्वर के स्वरूपों और उनकी लीलाओं के जरिये उनकी महिमा और जीवन के सिद्धांतां का ज्ञान देते हैं। पुराण हिंदू धर्म के ऐसे ग्रंथ हैं, जिसके ज्ञान से व्यक्ति को जीवन जीने के लिए उचित मार्गदर्शन प्राप्त होता है। सभी में ब्रह्मा, विष्णु, महेश की कथाओं का वर्णन है। सरकार भी चाहती है कि लोग धर्म के रास्ते पर चले और अपनी लोक संस्कृति को जीवंत बनाए रखे।

इसी मकसद से लगभग डेढ़ करोड़  पये खर्च कर सभी 18 पुराणों को चित्र के रूप में रूपांतरित कराने का प्रयास कर रही है। ज्यादातर काम हो चुका है। अब सिर्फ दो, मत्स्य पुराण और नारद पुराण के चित्र बनाए जाना शेष है। ये काम भी जल्द पूरा होने का दावा किया जा रहा है। संस्कृति विभाग के अधिन संचालित त्रिवेणी संग्रहालय के संग्रहाध्यक्ष अशोक मिश्रा ने  कहा है कि किसी कथा को चित्र में कहना कठिन कार्य है। इस कठिन कार्य को करने के लिए जिन कलाकारों ने सहमती दी, उनसे चित्र बनवाए जा रहे हैं। सभी पद्मश्री, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त चित्रकार हैं। हिमाचल प्रदेश के पद्मश्री विजय शर्मा ने पहाड़ी शैली में श्रीमद् भागवत कथा का चित्रण किया है। केरल के सुजीत कुमार ने केरला म्युरल में शिवपुराण का चित्रण किया है। मप्र के पद्मश्री भज्जूसिंह श्याम से गोंड चित्रांकन शैली में चित्र बनाए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मन के बात कार्यक्रम में इन चित्रों का वर्णन भी किया है।  

ये हैं 18 पुराण

ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण (शिव पुराण), भागवत पुराण (देवीभागवत पुराण), नारद पुराण, मार्कण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, लिङ्ग पुराण, वाराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण।

श्री महाकाल महालोक की दीवारों पर उकेरे शैल चित्र भी सुनाते कहानियां

श्री महाकाल महालोक में रूद्रसागर किनारे 500 मीटर लंबी, 25 फीट ऊंची दीवार पर बनाए शैल चित्र शिव महापुराण की कथा सुनाते हैं। सभी चित्र मंदिर स्थापत्य कला, संस्कृति और आध्यात्मिक भाव के दर्शन कराते हैं। योजना के दूसरे चरण में अहिल्याबाई मार्ग से जुड़े नीलकंठ वन पहुंच मार्ग पर पर उज्जैन के गौरवशाली इतिहास, कला और संस्कृति का गुण-गान कराने को शैल चित्र बनाए जा रहे हैं। दीवार पर राजाधिराज महाकाल की सवारी, महाकुंभ सिंहस्थ के शाही स्नान, चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य, राजपूत योद्धा वीर दुर्गादास राठौड़, मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई, पुरातत्वविद् पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर सहित 36 से अधिक दुर्लभ चित्र शिल्पांकित किए जा रहे हैं।