टी20 वर्ल्ड कप 2021 में टीम इंडिया का सफर आखिरकार खत्म हो गया


स्टोरी हाइलाइट्स

टी20 वर्ल्ड कप 2021 में टीम इंडिया का सफर आखिरकार खत्म हो गया। भले ही विराट सेना को आज अपना आखिरी लीग मैच नामीबिया से खेलना है, लेकिन इस मैच के रिजल्ट से टीम इंडिया की खराब सेहत पर अब कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। दरअसल रविवार को टीम इंडिया के चाहने वालों के साथ प्रायोजकों की भी निगाहें अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच होने वाले मैच पर टिकी थी।

वैसे सच तो यह है कि किसी टीम की हार के भरोसे खिताब की दौड़ में अपने आप को बनाये रखने का हाल वही होता है जो इस बार टीम इंडिया का हुआ है। पिछले 2 साल में यह तीसरा मौका है, जब किसी वर्ल्ड कप में कीवी टीम की वजह से टीम इंडिया का सपना टूटा है। विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया को 2019 वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पटखनी देने के बाद कीवी टीम ने इसी साल टेस्ट चैंपियनशिप की खिताबी जंग में भी हराया था।

विराट कोहली की कप्तानी में घरेलू जीत के साथ टीम इंडिया ने तमाम देशों में खेली गयी द्विपक्षीय सीरीजों में ऐतिहासिक फतह भी हासिल की है। लेकिन एक सच यह भी है कि इस बड़े बल्लेबाज की कप्तानी में टीम इंडिया कोई भी आईसीसी खिताब नहीं जीत सकी है। हम यह कतई नहीं मानते कि कोई भी बड़ा खिलाड़ी सफल कप्तान भी हो सकता है। यह बात इसलिए भी कही जा सकती है कि टीम इंडिया के पहले भी कई मौकों पर ऐसा हुआ है।
 
भारतीय क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी कप्तानी के मामले में कुछ ऐसे ही साबित हुए थे। लेकिन उस वक्त कप्तान सचिन तेंदुलकर की खूबी यह रही थी कि उन्होंने इस बात को समझने और फैसला लेने में तनिक भी देरी नहीं की कप्तानी को छोड़ने के बाद उन्होंने ही टीम इंडिया के सफल कप्तानों में शुमार धोनी का नाम चयनकर्ताओं को सुझाया था।

महेंद्र सिंह धोनी ने अपने कूल अंदाज की कप्तानी में टीम इंडिया को आईसीसी के सभी बड़े खिताब भी दिलवाये। भले ही कप्तान कोहली ने ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट धोनी के साथ खेली हो लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि उन्होंने धोनी से कप्तानी के कोई सबक नहीं लिये। कप्तान धोनी की खूबी उनकी मैदान में उनका लचीला बर्ताव रहता था, वहीं कप्तान कोहली अपने अड़ियल रवैये और अपनी निर्धारित सोच के साथ मैदान में उतरते हैं।

ऐसा ही कुछ टी 20 वर्ल्ड कप के मैचों में भी देखने को मिला।टीम संयोजन की बात करें तो सभी सफल टीमें जहां 3 फिरकी ओर 3 तेज गेंदबाजों पर दांव खेलती रही, वहीं कप्तान कोहली ने अहम मैचों में 2 फिरकी पर ही उल्टा दांव खेला।बतौर सिर्फ बल्लेबाज लगातार हार्दिक पांड्या को आजमाना भी टीम इंडिया के लिए गलत फैसला साबित हुआ। टीम इंडिया की टी20 वर्ल्ड कप की विदाई के साथ ही तमाम वो बातें भी निकल कर आ रही हैं, जिनको हार की वजह कहा और समझा जा रहा है। लेकिन सच तो यह है कि बड़े टूर्नामेंटों को जीतने के लिए खिलाड़ियों के प्रदर्शन साथ कप्तानी के भी मायने बेहद अहम साबित होते हैं।