जीका, स्वाइन फ्लू की जांच होगी आसान, तीन साल से अटका मामला


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स्टोरी हाइलाइट्स

एक महत्वपूर्ण लैब के लिए जमीनों के हो रहे 'प्रयोग'..!

भोपाल, 

जीका, निपाह, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों की जांच करने के लिए एक महत्वपूर्ण लैब की फाइल लंबे समय से कई टेबलों पर भटक रही है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने तीन साल पहले मप्र में बायो सेफ्टी लेवल 3 लैब बनाने की मंजूरी दी थी। यह बात कोरोना संकट के पहले की है। पहले तय हुआ था कि यह लैब भोपाल के ईदगाह हिल्स पर टीबी हॉस्पिटल की जमीन पर बनेगी लेकिन अधिकारियों ने बाद में यहां पर निर्माण से इनकार कर दिया। फिर इस लैब के लिये भोपाल में अफसर जगह तय नहीं कर पाए तो सीहोर जिले में इंदौर भोपाल हाईवे पर जमीन देने की सहमति बनी। बताते हैं कि तब इस लैब के लिए पांच एकड़ जमीन भी अलॉट हो गई। लेकिन बाद में फिर प्लान बदल गया।

हालांकि इस लेटलतीफी को लेकर दबी जुबान अफसरों का तर्क है कि मप्र में भी कोरोना की लहरों के चलते इस लैब को लेकर काम सिरे नहीं चढ़ सका। दरअसल पहले जीका, स्वाइन फ्लू, जापानी इंसेफिलाइटिस जैसी बीमारियों के मरीज मिलते थे। इनकी जांच कराने के लिए गिनी चुनी लैब में ही व्यवस्था थी। केन्द्र सरकार ने भोपाल में इस लैब को बनाने के लिए दस करोड़ रूपए भी जारी किए थे। लेकिन अफसरों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि लैब की जगह तय नहीं हो पाई। सूत्रों की मानें तो जायेगी।

अब यह लैब अब भोपाल में बनाने की तैयारी है इस स्थान को लेकर सहमति बन चुकी है |

एनसीडीसी कर चुका है मुआयना

बताया जाता है कि दो साल पहले एनसीडीसी के डायरेक्टर डॉ. सुजीत सिंह ने सीहोर जिले में इंदौर भोपाल हाईवे पर चिन्हित की गई पाच एकड़ जमीन पर बायोसेफ्टी लेवल ३ लैब बनाने के लिए निरीक्षण किया था। एनसीडीसी ने हर रा%य में एक स्टेट लेवल सेंटर बनाने की तैयारी शुरू की थी। लेकिन अब यह प्लान सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एनसीडीसी की तरफ से जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए मशीन मिली है। यहां एनसीडीसी ने किराए पर बिलडिंग लेकर फिलहाल लैब शुरू की है। यहां जीनोम सिक्वेंसिंग शुरू की जाएगी।