उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार 2 जुलाई को एक दर्दनाक हादसा हो गया। यहां सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में 120 से भी ज़्यादा लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इस बड़े हादसे के बाद से ये सवाल सभी के मन में कौंध रहा है, कि जिस भोले बाबा के सत्संग के दौरान ये हादसा हुआ वो कौन है, जिनके सत्संग में इतनी बड़ी तादाद में अनुयायी पहुंचे थे।
तो चलिए हम आपके सभी सवालों के जवाब दिए देते हैं..
भोले बाबा यानि कि नारायण साकार हरि बाबा का सत्संगी करियर 15 साल पहले शुरू हुआ। कासगंज जिले के सूरज पाल सिंह पुलिस में SI के पद पर तैनात थे जो नौकरी छोड़कर भोले बाबा बन गए। भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ। पटियाली तहसील में बहादुर गांव में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) का पूर्व कर्मचारी बताते हैं।
दावा है कि 26 साल पहले बाबा सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे। भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं। खास बात यह है कि इंटरनेट के जमाने में अन्य साधु संतों और कथावाचकों से इतर सोशल मीडिया से दूर हैं। बाबा का कोई आधिकारिक अकाउंट किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं है।
बाबा के बारे में कुछ लोग कहते हैं कि ये यूपी पुलिस में दरोगा हुआ करते थे। बात करें बाबा के लुक की तो बाबा का लुक आमतौर पर गेरुआ वस्त्र धारण करने वाले बाबाओं से कुछ अलहदा है। बाबा महंगे गॉगल, सफेद पैंट शर्ट पहनते हैं, जो काफी अट्रैक्टिव लगता है।
बाबा के शिष्यों में बड़ी संख्या में गरीब, दलित आदि शामिल हैं, इसी के चलते वे अपने प्रवचनों में बाबा पाखंड का विरोध भी करते नज़र आते हैं। बाबा ने 10 साल पहले मैनपुरी से 2014 में बहादुर नगर में अपना आश्रम बिछवा में शिफ्ट कर लिया और आश्रम का प्रबंधन स्थानीय प्रशासक के हाथों में छोड़ दिया।
बाबा कारों 'के काफिले के साथ चलता है। इसके अलावा भोले बाबा पर जमीन कब्जाने के भी कई आरोप हैं। बाबा का राजनीति से भी तगड़ा कनेक्शन है। कुछ मौकों पर UP के कई बड़े नेताओं को उनके मंच पर देखा गया। इसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम भी शामिल है।