मध्य प्रदेश के वनों में मिले 1149 ‘देवलोक’ — श्रद्धा, संस्कृति और विविधता के प्रतीक


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर वन विभाग ने सहेजे आस्था के वनस्थल..!!

भोपाल: मध्य प्रदेश की हरियाली में अब एक नया अध्याय खुला है — “देवलोकों की खोज”।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर वन विभाग ने अपने 63 वनमंडलों में से 41 में अब तक 1149 प्राचीन ‘देवलोक’ — अर्थात् सर्ना, पुनीत वन, पवित्र निकुंज, बाबा देव स्थल आदि का दस्तावेजीकरण किया है।

ये वे स्थल हैं जो आदिवासी परंपरा और जनजातीय संस्कृति में आध्यात्मिक शक्ति केंद्र माने जाते हैं। इनमें से अनेक स्थलों पर मेलों, धार्मिक अनुष्ठानों और उर्स का आयोजन होता है। मुख्यमंत्री की मंशा है कि इन सभी स्थलों का संवर्धन और विकास किया जाए ताकि इन्हें श्रद्धा और पर्यटन दोनों दृष्टियों से प्रतिष्ठा मिल सके।

दिलचस्प तथ्य यह है कि इन 1149 स्थलों में 7 मुस्लिम समुदाय से जुड़े धार्मिक स्थल भी पाए गए हैं — जो प्रदेश की सांस्कृतिक सह-अस्तित्व और समरसता के प्रतीक हैं।

उदाहरण के लिए —

इंदौर वनमंडल के ग्राम काचरोट में पीर दरगाह, उत्तर बालाघाट के ग्राम उकवा में दरगाह (जहां उर्स लगता है), दक्षिण बालाघाट के मनका टेकरी, सोनेवानी और मोहगांवघाट, धार जिले के मांडव का मजार वन, तथा सेंधवा वनमंडल के धनोरा में ताजउद्दीन बाबा के नाम से प्रसिद्ध स्थल सम्मिलित हैं। इसी क्रम में उत्तर बैतूल वनमंडल के ग्राम छतरपुर में ‘रावण देव स्थल’ भी पाया गया है, जो आदिवासी समुदाय में रावण देवता की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।

वन विभाग के अनुसार, 41 वनमंडलों के भीतर 979 देवलोक हैं जबकि वनों के निकट 170 देवलोक स्थित हैं। शेष 21 वनमंडलों में भी खोज का कार्य जारी है।

यह अभियान न केवल सांस्कृतिक विरासत के पुनर्जीवन का उदाहरण है, बल्कि यह बताता है कि जंगल केवल वृक्षों के समूह नहीं, बल्कि आत्मा से संपन्न सभ्यता के साक्षी हैं।