डिंडोरी और अमरकंटक के साल जंगलों में बोरर के संक्रमण से करीब एक लाख पेड़ खतरे में


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

डिंडोरी और अमरकंटक में  बोरर से प्रभावित साल के पेड़ों को चिह्नित कर रहे हैं वनकर्मी..!!

भोपाल: ढाई दशक बाद डिंडोरी और अमरकंटक के साल के लगभग एक लाख पेड़ बोरर के चपेट में आ गए हैं। यदि शीघ्र ही इसके रोकथाम के कदम नहीं उठाए गए तो 1998 जैसी भयावह बन सकती है। 

डिंडोरी और अमरकंटक के साल जंगल में इन दिनों साल बोरर कीट के प्रकोप से भारी तबाही होने की आशंका है। बोरर संक्रमित साल के हजारों पेड़ खोखले हो रहे हैं। इस आशय की एक प्रारंभिक रिपोर्ट टीएफआरआई की वैज्ञानिक नीलू सिंह ने वन बल प्रमुख वीएन अंबाड़े को सौंपी है। 

वैज्ञानिकों की रिपोर्ट है कि डिंडोरी ज़िले के कुछ हिस्सों में 30-35% साल के पेड़ पहले से ही संक्रमित हो सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि भारी बारिश और बढ़ी हुई आर्द्रता ने इस कीट के प्रसार को तेज़ कर दिया है। डिंडोरी में संक्रमित साल के पेड़ों को चिह्नित किया जा रहा है। लगभग 35 मज़दूर पिछले चार दिनों से सोनतीरथ में साल बोरर कीट से क्षतिग्रस्त पेड़ों को चिह्नित कर रहे हैं। कूप संख्या 776 में स्थित यह जंगल 119.25 हेक्टेयर साल-बहुल क्षेत्र में फैला है। 

अभी तक केवल तीन हेक्टेयर क्षेत्र को चिह्नित किया गया है, जिसमें 3,113 प्रभावित पेड़ों की गणना की गई है। बताया जाता कि पूरे 119.25 हेक्टेयर क्षेत्र को चिह्नित करने में एक महीना लग सकता है। अनुमान है कि पूर्व करंजिया रेंज के सोनतीरथ गाँव में क्षतिग्रस्त पेड़ों की संख्या 20-25 हजार तक पहुंच सकती है। पूरे ज़िले के लिए यह आंकड़ा चौंकाने वाला होने की उम्मीद है। 

डिंडोरी डीएफओ पुनीत सोनकर ने बताया कि हम अभी कीटों से प्रभावित पेड़ों की संख्या का आकलन कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों की तुलना में इस साल कीटों का प्रभाव ज़्यादा है। सोनकर का मानना है कि डिंडोरी में केवल 5,000 प्रभावित पेड़ों का अनुमान है। लेकिन यह आंकड़ा अविश्वसनीय प्रतीत होता है। ग्रामीणों का भी मानना ​​है कि आधिकारिक आंकड़ा समस्या की गंभीरता को कम करके आंकता है। 

स्थानीय निवासियों के अनुसार, कुछ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में यह आँकड़ा 50 प्रतिशत तक भी हो सकता है। डिंडोरी का साल का जंगल अनूपपुर में स्थित अमरकंटक से लगा हुआ है। अमरकंटक में भी साल बोरर का प्रकोप पाया गया है। 

अमरकंटक के शुरुआती सर्वे में 10-15 प्रतिशत पेड़ साल बोरर प्रभावित मिले हैं। 8525 हेक्टेयर के जंगल वाले इस क्षेत्र में लगभग 40 लाख साल के पेड़ हैं। अनुपपुर डीएफओ विपिन पटेल ने बताया कि बोरर से संक्रमित साल के पेड़ों का आकलन किया जा रहा है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि अधिक संख्या में साल के जंगल बोरर संक्रमित दिखाई दे रहे हैं। अभी आकलन करवा रहें हैं।

बोरर कीट का चक्र

साल के पेड़ों पर बोरर अभी लार्वा अवस्था में हैं और सर्दियों में सुप्तावस्था में रहेंगे। गर्मी का मौसम शुरू होते ही ये बाहर निकलकर फैलना शुरू करेंगे। बोरर एक सुंडी कीट की प्रजाति है और इसका प्रजनन चक्र 15 दिन का होता है। मादा एक बार में 300 से 500 अंडे देती है। बोरर कीट मानसून खत्म होने के पश्चात ही वृक्षों में लगने लगते हैं और उम्र भर पेड़ में ही रहते हैं तथा इस दौरान एक हरे-भरे पेड़ को भी वे कुछ ही दिनों में चट कर जाते हैं। 

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनका फैलाव कितना तेज होता है। यह कीट पूरे जंगल को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है। उनका कहना है कि अभी इनकी इल्लियां पेड़ के तने के अंदर हैं, वे कितनी संख्या में हैं, यह कहना मुश्किल है। इस साल इनके फैलाव के पीछे कौन–कौन से जलवायु कारक ज़िम्मेदार हैं, इसका अध्ययन किया जाना चाहिए। 

इनका कहना

प्रकोप जैसा तो नहीं है। पूर्व करंजिया रेंज में करीब 4000 साल के पेड़ में बोरर के लक्षण दिखाई दिए हैं। कूप मार्किंग का काम चल रहा है। मंगलवार से प्रभावित साल वृक्ष को चिन्हित करने का काम शुरू किया है। पिछले साल साल बोरर की मार्किंग की गई थी। वर्किंग प्लान में भी इसका उल्लेख किया गया है। 

* पुनीत सोनकर DFO डिंडोरी