सवा करोड़ का बकाया भुगतान नहीं करने पर बालाघाट का डीएफओ और सीसीएफ कार्यालय सील


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स्टोरी हाइलाइट्स

11 जुलाई की सुबह जब कर्मचारी ड्यूटी पर पहुंचे, तो कार्यालय के बाहर नोटिस चस्पा और ताले लटके देखकर सकते में आ गए। कार्यवाही से पूरे वन विभाग में हड़कंप मच गया और कार्यालय परिसर में दिनभर चर्चाओं का दौर चलता रहा..!!

भोपाल: बीस साल पुराने एक मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को बालाघाट जिला मुख्यालय स्थित दक्षिण उत्पादन वनमंडल और मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) कार्यालय बालाघाट को सील कर दिया गया। 11 जुलाई की सुबह जब कर्मचारी ड्यूटी पर पहुंचे, तो कार्यालय के बाहर नोटिस चस्पा और ताले लटके देखकर सकते में आ गए। कार्यवाही से पूरे वन विभाग में हड़कंप मच गया और कार्यालय परिसर में दिनभर चर्चाओं का दौर चलता रहा।

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क्या है पूरा मामला?

वर्ष 2005 में बालाघाट में पश्चिम उत्पादन वनमंडल नामक कार्यालय सक्रिय था, जो वर्ष 2013 में बंद कर दक्षिण उत्पादन में विलय कर दिया गया। इस दौरान कल्पतरू एग्रो फार्म, कोलकाता नामक फर्म ने विभाग से बड़ी मात्रा में बांस की खरीदारी की थी। फर्म ने बकायदा भुगतान भी किया, लेकिन कार्यालय के बंद हो जाने के बाद वह बांस उठाव नहीं कर सका। समस्या तब खड़ी हुई जब फर्म द्वारा भुगतान की गई राशि विभाग ने वापस नहीं की। इस पर कल्पतरू एग्रो फार्म के संचालक ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने 20 जून 2025 को आदेश दिया कि वन विभाग फर्म को ₹1.20 करोड़ की राशि लौटाए।

आदेश की अनदेखी और आई सीलिंग की नौबत

न्यायालय के आदेश के बावजूद जब विभाग ने कोई भुगतान नहीं किया, तो अदालत ने कड़ी कार्रवाई करते हुए कार्यालय को सील करने का आदेश दिया। इस आदेश के तहत आज विभागीय अधिकारियों ने दक्षिण उत्पादन एवं सीसीएफ कार्यालय पर ताले लगा दिए और नोटिस चस्पा कर दिया गया।

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विभागीय छवि पर सवाल

सीलिंग की खबर फैलते ही वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। कई कर्मचारी कार्यालय के बाहर एकत्र होकर स्थिति को लेकर चर्चा करते नजर आए। बताया जा रहा है कि इस कार्रवाई से विभाग की प्रशासनिक छवि पर सवाल खड़े हो रहे हैं और न्यायिक आदेशों की अनदेखी को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर भी उंगलियां उठ रही हैं।