भोपाल: जंगल महकमे के मौजूदा वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव का कार्यकाल 31 जुलाई को समाप्त हो रहा है। उनके स्थान पर वन विकास निगम के प्रबंध संचालक वीएन अंबाड़े अगले वन बल प्रमुख होंगे। उनका कार्यकाल 7 महीने का होगा।
वन मुख्यालय में वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव के अलावा पीसीसीएफ विकास कमलेश चतुर्वेदी 31 जुलाई को सेवानिवृत हो रहें हैं। वन बल प्रमुख श्रीवास्तव 17 महीने के लंबे कार्यकाल में प्रशासनिक नजरिया से कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए। यहां तक की मुख्यालय से लेकर मैदान तक चरमराते प्रशासनिक ढांचे को दुरुस्त करने में कोई कदम नहीं उठा पाए।
यही नहीं, उनके कार्यकाल में प्रभारी परंपरा और पांच सितारा होटलों में परिवार सहित कार्यशाला का आयोजन करने को लेकर सुर्खियों में रहे। अब श्रीवास्तव के रिटायर्ड होने पर अंबाड़े की पदस्थापना होना तय है। 1988 बैच के आईएफएस अंबाड़े ने प्रबंध संचालक के पद पर रहते हुए वित्तीय संक्रमण काल से गुजर रहे वन विकास निगम को उबारा।
विकास के लिए जोर आजमाईस..
पीसीसीएफ विकास कमलेश चतुर्वेदी भी इसी माह सेवानिवृत्ति हो रहें है। पीसीसीएफ विकास के पद आसीन होने के लिए 1992 और 1993 बैच के अधिकारियों में जोर-आजमाइस शुरू हो गई है। विकास शाखा के मुखिया की कुर्सी हासिल करने के लिए 1992 बैच के आईएफएस पुरुषोत्तम धीमान, प्रदीप वासुदेव और डॉ समिता राजोरा के बीच दौड़ चल रही है।
इसके अलावा अंबाड़े के वन बल प्रमुख वन बल प्रमुख बनने पर प्रबंध संचालक वन विकास निगम का पद रिक्त हो जाएगा। इस पद के लिए तीन आईएफएस अफसरों के नाम चर्चा में है। इनमें पीसीसीएफ सामाजिक वानिकी के पुरुषोत्तम धीमान, लंबे समय से विभाग की मुख्य धारा से दूर रहीं पीसीसीएफ मानव संसाधन डॉ समिता राजोरा और पीसीसीएफ मनोज अग्रवाल कार्य आयोजना प्रमुख है।
सुदीप की हो रही प्रशासनिक पुनर्वास..
वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव अपने रिटायर्ड होने के पहले ही पीसीसीएफ विकास के पद पर सेवानिवृत हुए सुदीप सिंह के प्रशासनिक पुनर्वास करने का तीन अलग-अलग प्रस्ताव मंत्रालय को भेज दिया है। पहला प्रस्ताव तीन करोड़ के बजट वाले जैव विविधता बोर्ड में वित्तीय सलाहकार के लिए है। बोर्ड में वित्तीय सलाहकार का कोई पद ही नहीं है।
इसके अलावा सुदीप सिंह को लघु वनोपज संघ और इको पर्यटन बोर्ड में सलाहकार बनाए जाने से संबंधित है। दिलचस्प पहलू यह है कि सुदीप सिंह को सलाहकार बनाने संबंधित प्रस्ताव सरकारी खजाने में वित्तीय बोझ डालने जैसा है।