BJP नेता का बेटा निकला ड्रामेबाज, अखबार में छपी मौत की खबर, पकड़े जाने से पहले रचा अपनी ही मौत का नाटक


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स्टोरी हाइलाइट्स

बीजेपी नेता के बेटे ने ₹1.40 करोड़ के कर्ज से बचने के लिए अपनी ही मौत का झूठा नाटक रचा..!!

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक बीजेपी नेता के बेटे ने ₹1.40 करोड़ के कर्ज से बचने के लिए अपनी ही मौत का झूठा नाटक रचा। इस नाटक में पुलिस, प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमों ने 10 दिनों तक उसकी तलाश में नदी में अभियान चलाया लेकिन बाद में उसका झूठ पकड़ा गया। 

जानें क्या था पूरा मामला? 

मामला तब शुरू हुआ जब 5 सितंबर को कालीसिंध नदी में एक कार डूबने की खबर मिली। यह कार बीजेपी नेता महेश सोनी के बेटे विशाल सोनी की थी। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और गोताखोरों की मदद से कार को नदी से बाहर निकाला लेकिन कार खाली थी और विशाल का कोई सुराग नहीं मिला। 

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इससे पूरा परिवार और प्रशासन परेशान हो गया। लगभग दो सप्ताह तक एसडीआरएफ की तीन अलग-अलग टीमों ने 20 किलोमीटर तक नदी में उसकी तलाश की। कॉल रिकॉर्ड ने खोला राज 8 दिनों तक कोई सुराग न मिलने पर पुलिस को शक हुआ। 

पुलिस अधिकारी आकांक्षा हाड़ा ने बताया कि जब उन्होंने विशाल के पिता और भाइयों से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने कबूल किया कि विशाल मरा नहीं है और वह कहीं छिपा हुआ हो सकता है। पुलिस ने विशाल के मोबाइल कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच की जिससे उसकी लोकेशन महाराष्ट्र में मिली। करीब 15 दिनों तक पूरा पुलिस-प्रशासन असमंजस की स्थिति में रहा। पुलिस की टीमें कालीसिंध नदी में उसके शव की तलाश में जुटी रहीं। बाद में पता चला कि वह महाराष्ट्र में छिपा हुआ है।

महेश सोनी के बेटे विशाल सोनी को मध्य प्रदेश पुलिस ने महाराष्ट्र के संभाजी नगर से गिरफ्तार कर लिया है। उसने पुलिस को धोखा देने के लिए फरदापुर थाने में अपहरण की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई। बाद में विशाल ने ₹1.40 करोड़ के कर्ज से बचने के लिए अपनी मौत का नाटक रचने की बात कबूल की। 5 सितंबर को उनकी कार कालीसिंध नदी में मिली थी। तब से, पुलिस, प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें 10 दिनों तक नदी में उसकी तलाश करती रहीं।

5 सितंबर को पुलिस को सूचना मिली कि कालीसिंध नदी में एक कार डूब गई है। कार भाजपा नेता महेश सोनी के बेटे विशाल की थी। पुलिस और प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बचाव अभियान शुरू किया। गोताखोरों ने कार को बाहर निकाला, लेकिन वह खाली थी। गोताखोरों को विशाल का कोई सुराग नहीं मिला। महेश सोनी ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। 

विशाल ने पुलिस को बताया कि वह ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करता था। उसके पास छह ट्रक और दो बसें थीं। उसने अपने व्यवसाय के लिए बैंकों से ₹1.40 करोड़ से ज़्यादा का कर्ज़ लिया था। कर्ज़ से बचने के लिए उसने अपनी मौत का नाटक रचा। उसे पता चला कि अगर कोई कर्ज़दार बैंक में मृत्यु प्रमाण पत्र जमा कर देता है, तो उसका कर्ज़ माफ़ हो जाता है। 

5 सितंबर को सुबह 5 बजे विशाल ने गोपालपुरा के पास अपने ट्रक ड्राइवर से पैसे उधार लिए। फिर वह नदी किनारे गया, अपनी कार की हेडलाइट बंद की, कार नदी में धकेल दी और ड्राइवर की बाइक लेकर इंदौर चला गया। अखबारों में अपनी मौत की खबर पढ़ने के बाद, वह शिरडी और शनि शिंगणापुर में पूजा करने गया।

आकांक्षा हाड़ा के अनुसार, जब विशाल को पता चला कि पुलिस ने उसकी लोकेशन ट्रेस कर ली है, तो उसने महाराष्ट्र के फरदापुर थाने में अपहरण की झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी। खुद को पीड़ित दिखाने के लिए विशाल सोनी ने अपने कपड़े फाड़े और खुद को धूल से गंदा कर लिया। पुलिस के अनुसार, अपनी मौत का नाटक करने वाले व्यक्ति को सज़ा देने का कोई सीधा संवैधानिक प्रावधान नहीं है, इसलिए बिना कोई मामला दर्ज किए विशाल को उसके परिवार को सौंप दिया गया।