महीनों से APCCF- CCF और DFO के पद खाली, मंत्री तय नहीं कर पा रहे अफसरों की सूची


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स्टोरी हाइलाइट्स

कहा जा रहा है कि वन मंत्री विजय शाह की सूची और सिफारिश सूची में मेल न होने के कारण पदस्थापना का मामला 6 महीने से अटका है..!

भोपाल: जंगल महकमे में पिछले 6 महीनों से  सर्किल और वन मंडलों को मिलाकर 10 आईएफएस के पद रिक्त पड़े हैं. इसी प्रकार मुख्यालय में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद भी खाली पड़े हुए हैं. यह स्थिति इसलिए निर्मित हुई है, क्योंकि वन मंत्री विजय शाह अपने मनमाफिक अफसरों की सूची तैयार नहीं कर पा रहे है. अगले साल विधानसभा चुनाव को लेकर भी मंत्रियों और विधायकों के सिफारिशों की लंबी फेहरिस्त है. कहा जा रहा है कि वन मंत्री विजय शाह की सूची और सिफारिश सूची में मेल न होने के कारण पदस्थापना का मामला 6 महीने से अटका है. मुख्यालय में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक संरक्षण, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक भू-अभिलेख और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक शिकायत एवं सतर्कता के पद रिक्त हैं.

विभाग के सर्किल छिंदवाड़ा, शिवपुरी ग्वालियर, होशंगाबाद और पेंच नेशनल पार्क के डायरेक्टर के पद रिक्त हैं.ये सभी पद मैनेजमेंट कोटे के तहत प्रभार में चल रहे हैं. शिवपुरी सर्किल का प्रभार वर्किंग प्लान बना रहे रमेश गनावा और छिंदवाड़ा सर्किल की अस्थायी जिम्मेदारी सिवनी सर्किल एसएस उद्दे को दी गई है. छिंदवाड़ा में मधु वी राज को पदस्थ करने का प्रस्ताव है. मधु शाह के गुडबुक में है. वर्तमान में मधु वी राज सिंगरौली वन मंडल पदस्थ हैं. सिंगरौली की पदस्थापना भी मधु वन मंत्री विजय शाह को मैनेज करके करवा ली थी. इसी प्रकार वन्य प्राणी शाखा में पदस्थ अनिल शुक्ला को शिवपुरी सर्किल में पदस्थ किए जाने का प्रस्ताव है.

अवैध उत्खनन के क्षेत्र में सर्किल और वन मंडल दोनों खाली

ग्वालियर सर्किल में अवैध उत्खनन का 600 से लेकर 700 करोड़ रुपए तक के अवैध कारोबार किया जाता है. दुर्भाग्य जनक पहलू यह है कि ग्वालियर सर्किल में सीएफ और डीएफओ दोनों के पद रिक्त पड़े हैं. वन मंत्री और विभाग निर्णय नहीं कर पा रहे हैं किस अफसर को वहां पदस्थ किया जाए. फिलहाल ग्वालियर सर्किल का प्रभार भी पालपुर कूनो के सीसीएफ उत्तम शर्मा को दी गई है. 200 किलोमीटर से अधिक दूरी पर बैठे उत्तम शर्मा श्योपुर से ग्वालियर सर्किल का काम देख रहे हैं.  200 किलोमीटर दूर बैठे उत्तम शर्मा किस तरह लगाम लगा सकते हैं यह विचारणीय प्रश्न है?  ऐसा नहीं है कि उत्तम शर्मा को केवल ग्वालियर सर्किल का अध्यक्ष प्रभाव नहीं दिया गया है, बल्कि उन्हें सीसीएफ लायन परियोजना (पालपुर कूनो) के साथ- साथ माधव नेशनल पार्क की भी जवाबदारी दी गई है. दो चीता की मौत के बाद उत्तम शर्मा को 2-2 अतिरिक्त प्रभार देखना मुश्किल हो रहा है.  ग्वालियर सर्किल के लिए वन मंत्री शाह की पहली पसंद खंडवा वर्किंग प्लान में पदस्थ टीएस सूलिया है. जबकि ग्वालियर के लिए अनुपम सहाय अपनी पदस्थापना चाह रहें हैं.

क्या सीनियर की लिखेंगे एसीआर जूनियर?

जंगल महकमे में प्रस्तावित पदस्थापना में आईएफएस अफसरों के नाम चर्चा में आ जाने के बाद से एक सवाल प्रशासनिक गलियारों में उछलने लगा है कि क्या सीनियर की एसीआर जूनियर आईएफएस अधिकारी लिखेंगे? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि विभागीय मंत्री ने सहाय को उज्जैन सर्किल में पदस्थ करने के लिए प्रस्तावित किया. यदि सहाय की उज्जैन सर्किल में उनकी पोस्टिंग सीएफ के रूप में होती है तो वहां पदस्थ डीएफओ किरन बिसेन उनसे सीनियर हैं. यहां सवाल उठता है कि क्या जूनियर आईएफएस अपने से सीनियर की एसीआर लिखेंगे?

मुख्यालय में भी रिक्त है एपीसीसीएफ के पद

मुख्यालय सतपुड़ा में एपीसीसीएफ के विकास, भू-अभिलेख, समन्वय, वित्त एवं बजट, शिकायत एवं सतर्कता और संयुक्त वन प्रबंधन शाखा के पद रिक्त पड़े हैं. दिलचस्प पहलू यह है कि लंबे समय से एपीसीसीएफ मनोज अग्रवाल कैडर विरुद्ध उज्जैन सर्किल में पदेन वन संरक्षक के पद पर कार्य कर रहे हैं. अपनी सुख-सुविधा और रुतबा बरकरार रखने के लिए अग्रवाल को कैडर में 2 ग्रेड नीचे पद पर काम करना मुफ़ीद लग रहा है. इस पद पर बने रहने के लिए विभागीय मंत्री को हर दूसरे महीने गणेश परिक्रमा कर रहें है.  जबकि वन बल प्रमुख आरके गुप्ता उज्जैन सर्किल से अग्रवाल को मुख्यालय बुलाने के लिए कई बार नोटशीट भी लिख चुके हैं.  अग्रवाल को मुख्यालय आकर बड़े बाबू का काम करना पसंद नहीं है. उज्जैन सर्किल में जो सुख-सुविधाएं उन्हें मिल रही है, वह मुख्यालय में नहीं मिल सकती है.

* एक दर्जन वनमंडलों में भी फेरबदल की तैयारी

वन मंडलों में भी डीएफओ के पद खाली है. मसलन रतलाम, नीमच, मंदसौर, ग्वालियर, देवास उत्पादन और बैतूल उत्पादन के पद खाली पड़े. वन मंत्री विजय शाह के गृह सर्किल खंडवा में पदस्थ डीएफओ देवांशु शेखर को हटाया जा रहा है. उन्हें डिंडोरी में पदस्थ करने का प्रस्ताव है. सूत्रों का कहना है कि वन मंत्री शाह के अपेक्षाओं पर देवांशु शेखर खरे नहीं उतर रहे हैं. उनकी जगह उत्तर बैतूल में पदस्थ राकेश डामोर को पदस्थ करने की सिफारिश की गई है. डिंडोरी वन मंडल में पदस्थ साहिल गर्ग को बालाघाट और अभिनव पल्लव को बालाघाट से भोपाल वन मंडल, अखिल बंसल को जबलपुर वन मंडल से सिंगरौली, रीवा वन मंडल में पदस्थ है चंद्रशेखर सिंह को बैतूल उत्तर में पदस्थ करने की अनुशंसा की गई है. इसके अलावा प्रियांशु सिंह को दतिया वन मंडल से अशोकनगर पदस्थ किए जाने की सिफारिश की गई है. दरअसल प्रियांशु सिंह के पति अशोक नगर में पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थ हैं.

नवीन गर्ग के तबादले के आदेश का नहीं हुआ पालन

वन मंत्री विजय शाह ने दक्षिण सागर में हुए वनीकरण क्षतिपूर्ति घोटाले के कथित आरोपी नवीन गर्ग को विधानसभा में हटाने की घोषणा की गई थी. इस घोषणा के आधार पर राज्य शासन ने 10 अप्रैल को गर्ग का तबादला दक्षिण सागर वन मंडल से इको पर्यटन बोर्ड में कर दिया गया था किंतु 15 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी शासन के आदेश का विभाग ने अभी तक पालन क्रियान्वयन नहीं किया. गर्ग की जगह पर टीकमगढ़ में पदस्थ डीएफओ एमपी सिंह की पोस्टिंग की गई. एमपी सिंह जब ज्वाइन करने सागर पहुंचे तो उन्हें दक्षिण सागर वन मंडल का प्रभार लेने नहीं दिया गया. प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय से मौखिक फरमान जारी हुआ कि नवीन गर्ग अभी दक्षिण सागर वन मंडल में ही बने रहेंगे. मुख्यालय के मौखिक फरमान के चलते एमपी सिंह की स्थिति आसमान से टपके खजूर में लटके जैसे हो गई. डीएफओ एमपी सिंह को सीसीएफ सर्किल कार्यालय सागर में अटैच कर दिया गया. हास्यापद पहलू यह है कि सीसीएफ कार्यालय में डीएफओ का कोई पद अटैचमेंट का नहीं है. सवाल उठने लगा है कि एमपी सिंह का वेतन कहां से जनरेट किया जाएगा.