भोपाल: तबादलों के मौसम में मैनेजमेंट कोटे के आधार पर ACF और रेंजरों के ताबड़तोड़ ट्रांसफर किए गए। पहली बार ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रशासनिक एक्सरसाइज किए बिना ही स्थानांतरण कर दिए गए। अब पीसीसीएफ प्रशासन विवेक जैन को आईएफएस अफसरों के व्हाट्सप्प ग्रुप पर पोस्ट कर पूछना पड़ रहा है कि समस्त उपवनमंडल रिक्त हो जाते हैं तो तत्काल मेरे फोन पर विवरण भेजे।
गत दिनों वन विभाग में एसडीओ और रेंजर्स के तबादले किए गए। पहली बार अधिकारियों ने अपनी मनमानी कर तबादला सूची जारी की। यही वजह रही कि जारी किए गए स्थानांतरण आदेश आने के बाद प्रशासन-एक के पीसीसीएफ विवेक जैन की प्रशासनिक अक्षमता भी उजागर हो गई। अर्थात प्रशासनिक एक्सरसाइज किए बिना स्थानांतरण सूची को अंतिम रूप दे दिया गया। इसके परिणाम स्वरूप कुछ वन मंडल ACF विहीन हो गए।
अब प्रशासन एक के पीसीसीएफ को अपने व्हाट्सप्प ग्रुप को यह पोस्ट करना पड़ा कि 'वर्तमान में हुए ACF स्थानांतरण के पश्चात यदि किसी वनमण्डल के समस्त उपवनमंडल रिक्त हो जाते हैं तो तत्काल मेरे फोन पर विवरण भेजे।' यही नहीं, मुख्यालय पदस्थ और अपने निज सहायक कि ड्यूटी लगाई है किवह सभी वन मंडलों में लगाकर जानकारी ले और स्थानांतरित एसीएफ को भारमुक्त कराने डीएफओ दबाव बनाएं।
उनके पोस्ट जब प्रशासन-एक शाखा से सेवानिवृत पीसीसीएफ से बातचीत की। पहले तो हंसे और फिर बोले कि पूरी प्रशासनिक एक्सरसाइज इस बात के लिए की जाति है कि कहीं वनमण्डल में स्वीकृत एसीएफ के सभी पद रिक्त तो नहीं हो जाएंगे। ऐसी स्थिति बनने के पूर्व ही कितनी ही उच्च दबाव बने पर हम तबादला नहीं करते थे। ऐसी स्थिति में मंत्री और अन्य राजनेताओं के नाराजगी भी झेलनी पड़ती है। एक करने पीसीसीएफ स्तर के अधिकारी की टिप्पणी है कि यह तो प्रशासनिक दिवालियापन है।
कुछ डीएफओ ने भार मुक्त करने से किया इंकार..
पीसीसीएफ विवेक जैन की पोस्ट के बाद मालवांचल क्षेत्र के डीएफओ ने पीसीसीएफ मुख्यालय को पत्र लिखकर उनके वन मंडल में एकमात्र एसीएफ को भारमुक्त करने से मना कर दिया है। इंदौर वन मंडल में दो एसीएफ पदस्थ हैं और दोनों को ही स्थानांतरित कर दिया गया और अब रालामंडल के अधीक्षक को मैनेजमेंट के आधार पर इंदौर का अतिरिक्त प्रभार देने के निर्देश भोपाल से दिए गए हैं। हास्यास्पद पहलू यह कि इंदौर में पदस्थ एसीएफ का स्थानांतरण इसलिए कर दिया गया क्योंकि पिछले दिनों संपन्न कार्यशाला में कई अफसरों और उनकी पत्नियों की इच्छा अनुसार व्यवस्था नहीं कर पाया था।
ट्रांसफर नीति का खुला उल्लंघन..
शीर्ष अधिकारियों ने एसीएफ और रेंजर्स के तबादले करते समय राज्य सरकार के स्थानांतरण नीति का भी उल्लंघन किया। नीति में साफ तौर पर पति-पत्नि का एक साथ रहने का अधिकार दिया है। इसका पालन वन विभाग ने नहीं किया गया। रीवा सर्किल ऑफिस के संलग्नाधिकारी विद्या भूषण मिश्रा का ट्रांसफर खरगोन वनमंडल कर दिया। जबकि उनकी पत्नि रीवा आईटीआई कॉलेज में प्रशिक्षण अधिकारी हैं। वैसे भी रीवा में सामाजिक वानिकी में एसडीओ के दो पद खाली है। मिश्रा को तत्काल प्रभाव से बाहर मुक्त कर दिया है और उनका प्रभार सीनियर रेंजर को सौंपा है, जोकि प्रभारी एसडीओ है। अब रेंजर के पास मऊगंज और रीवा का प्रभार आ गया है। यानी यहां भी मुख्यालय के अफसर ने प्रभार का खेल खेला है।
मंत्रालय में बरसों से जमे हैं एसडीओ और बाबू..
रेंजर संगठन के व्हाट्सएप ग्रुप में एक यक्ष प्रश्न उठाया है कि क्या वन विभाग अंतर्गत ट्रान्सफर नीति और ट्रान्सफर केवल वन विभाग के वर्दी वाले लोगों के लिए लागू होते हैं ? क्या ट्रांसफर नीति वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और मुख्यालय के एसीएफ और उनके बाबुओं के लिए नहीं? मुख्यालय के साथ-साथ प्रदेश के अनेक वन वृत्तों और वनमण्डलों में सैकड़ों की संख्या में ऐसे बाबू हैं जिनकी नियुक्ति उसी ऑफिस में पार्टिकुलर उसी शाखा में हुई और उसी में प्रमोशन और रिटायरमेंट हुआ। लेकिन उनका ट्रांसफर उस शाखा और उस ऑफिस से नहीं हुआ।
संरक्षण शाखा, कैम्पा, वित्त एवं बजट, प्रशासन, एचआरडी आदि शाखाओं 4-5 सालों से एसीएफ और 8-9 सालों से कंप्यूटर ऑपरेटर जमे हैं पर उनका ट्रांसफर करने की हिमाकत कोई नहीं कर पा रहा है। ये कंप्यूटर ऑपरेटर शाखा चला रहे हैं और उनके अफसर रबर स्टाम्प बने हुए है। सूत्रों की खबर यह भी है कि कतिपय कंप्यूटर ऑपरेटर अपने अपने मुखियाओं के नाम से डीएफओ-एसडीओ और रेंजर्स से चौथ वसूली भी करते हैं। पिछले दिनों नई वाहनों के रजिस्ट्रेशन के नाम पर धन संग्रह किए गए हैं।