Neemuch News: मध्य प्रदेश के नीमच ज़िले में प्रस्तावित कपड़ा फैक्ट्री के विरोध में किसानों का विरोध एक बड़े आंदोलन में बदल गया है। सोमवार 2 नवंबर की सुबह, 350 करोड़ रुपये की सुविधा रेयॉन्स प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री के विरोध में एक विशाल ट्रैक्टर रैली का नेतृत्व कर रहे मोरवन क्षेत्र के सैकड़ों किसानों को भरवाड़िया चौराहे पर रोक दिया गया, जिससे हाईवे पर जाम लग गया। जिसके बाद दिल्ली, जयपुर, महू रूट पर चलने वाले सैकडों वाहनों के पहिए थम गए है।
किसान इस रोक से बेहद नाराज़ हैं और कलेक्टर कार्यालय की ओर बढ़ने की माँग कर रहे हैं। हाईवे पर जाम को लेकर किसानों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपने जा रहे थे, लेकिन प्रशासन ने जगह-जगह रोक दिया। किसानों का कहना है, कि उनका एकमात्र उद्देश्य कलेक्टर कार्यालय पहुँचकर याचिका प्रस्तुत करना है। उसके बाद, सभी शांतिपूर्वक घर लौट जाएँगे।
किसानों का कहना है कि यह कारखाना उनकी आजीविका छीन लेगा। उनका आरोप है कि यह कारखाना उस ज़मीन पर बनाया जा रहा है जिसका उपयोग पीढ़ियों से खेती, पशुओं के चरने और खेल के मैदानों के लिए किया जाता रहा है।
प्रदर्शनकारी ग्रामीणों की मुख्य चिंता पानी की उपलब्धता और ज़मीन की बर्बादी है। किसान नेता राजकुमार अहीर ने चेतावनी दी कि इस कारखाने से इलाके में गंभीर जल संकट पैदा हो सकता है।
किसान नेताओं का कहना है, कि “अगर बाँध का आधा पानी कारखाने की ओर मोड़ दिया जाता है, तो जावद, मोरवन और आसपास के गाँवों को पीने और सिंचाई के लिए पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा।”
ग्रामीणों का आरोप है कि कारखाने के लिए ज़मीन बिना किसी जनसुनवाई या स्थानीय निरीक्षण के आवंटित कर दी गई। इसके अलावा, प्रस्तावित कारखाने के पास एक स्कूल और एक स्वास्थ्य केंद्र होने से प्रदूषण और सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे विकास के नाम पर अपनी ज़मीन और जलस्रोत खोने को तैयार नहीं हैं। किसानों ने अपनी भावनाओं को दोहराते हुए कहा कि वे नौकरी के बजाय खेती पर निर्भर रहना पसंद करेंगे।
कांग्रेस ज़िला उपाध्यक्ष मनोहर जाट ने भीलवाड़ा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ भी ऐसी ही फैक्ट्रियों ने ज़मीन को बंजर बना दिया है और नीमच में ऐसी गलती नहीं दोहराई जानी चाहिए। रैली में शामिल ट्रैक्टरों पर "धरती पुत्र किसान, बात तेरी कुँ सुनेगा" जैसे गीत बजाए जा रहे हैं, जो उनके संघर्ष को आवाज़ दे रहे हैं।
किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी माँगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज़ होगा। फ़िलहाल, रैली सरवानिया और जावद होते हुए कलेक्टर कार्यालय की ओर बढ़ रही है।
पुराण डेस्क