रिवाल्वर पहनने वाले रेंज ऑफिसर को ही मिलेगा वाहन, मनोज अग्रवाल के फरमान का विरोध शुरू


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स्टोरी हाइलाइट्स

अग्रवाल ने आईएफएस एसोसिएशन के व्हाट्सप्प ग्रुप में पोस्ट किया कि उन्हीं रेंज ऑफिसर को वाहन जारी किए जाएंगे जो अपने रिवॉल्वर रखने लगेगें। उनके इस पोस्ट की जानकारी व्हाट्सप्प ग्रुप से रेंज अफसरों तक पहुंची तो विरोध के स्वर सुनाई देने लगे है..!!

भोपाल: आईएफएस बिरादरी में बेबाक टिप्पणी और नित नए-नए फरमान जारी करने के लिए संरक्षण शाखा के प्रमुख मनोज अग्रवाल जाने जाते हैं। अब एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। हाल ही में अग्रवाल ने आईएफएस एसोसिएशन के व्हाट्सप्प ग्रुप में पोस्ट किया कि उन्हीं रेंज ऑफिसर को वाहन जारी किए जाएंगे जो अपने रिवॉल्वर रखने लगेगें। उनके इस पोस्ट की जानकारी व्हाट्सप्प ग्रुप से रेंज अफसरों तक पहुंची तो विरोध के स्वर सुनाई देने लगे है। 

रेंजर संगठन के अध्यक्ष शिशुपाल अहिरवार ने अग्रवाल के हुक्मनामे पर एतराज जताते हुए कहा कि वे (अग्रवाल) राज्य शासन से एसओपी दिलवा देंगे और पुलिस सशस्त्र बल की तरह ही अधिकार दिलवा दें तो हम रिवाल्वर और बंदूके रखना शुरू कर देंगे।

सोमवार को आईएफएस एसोसिएशन के व्हाट्सप्प ग्रुप पर मनोज अग्रवाल ने अपना फरमान पोस्ट किया कि उन्हीं रेंज ऑफिसर को वाहन जारी किए जाएंगे जो अपने रिवॉल्वर रखने लगेंगे और और पुलिस से बंदूकें वापस ले लेंगे। इस पोस्ट की जानकारी रेंजर एसोसिएशन को लगी तो उनकी ओर से विरोध के स्वर सुनाई देने लगे। अग्रवाल के फरमान पर एतराज जताते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष शिशुपाल अहिरवार ने कहा 'संगठन की ओर से राज्य शासन को एसओपी जारी करने का आग्रह किया है।

अग्रवाल साब शासन से एसओपी जारी करवा दें, हम लोग रिवॉल्वर और 12 बोर की बंदूकें रखना शुरू कर देंगे।' यहां यह भी उल्लेखनीय कि सभी बंदूके और रिवाल्वर गृह विभाग के हुकुम से पुलिस थाने में रखा गया है। तत्कालीन एसीएस गृह डॉ राजेश राजौरा ने आदेश दिया था कि वन विभाग के स्ट्रांग रूम न बन जाए तब तक थाने में ही बंदूके और रिवॉल्वर रखना है।

वन अमले को इन्हें चलाने का अधिकार नहीं..

वनों की सुरक्षा के लिए सवा सौ करोड़ से खरीदी गई रिवॉल्वर और 12 बोर की बंदूकों में अब जंग लग रहा है। पिछले सात साल के दौरान इनको अलग-अलग समय में खरीदा गया। भोपाल फॉरेस्ट सर्किल में 300 बंदूकें और 35 रिवाल्वर जबकि प्रदेश के सर्किलों में 3157 बंदूकें और 286 रिवाल्वर मैदानी अमले को दिए गए। लेकिन हथियार मिलने के बाद वन अमले को इन्हें चलाने का अधिकार नहीं मिला। नतीजे में वन अमले ने उन्हें आवंटित बंदूकों और रिवॉल्वरों को संबंधित थानों और मालखाने में जमा करा दिया। 

हथियारों के उपयोग को लेकर क्या है एसओपी..

वन विभाग में हथियारों के उपयोग के लिए एक एसओपी होती है जो हथियारों के उपयोग, रखरखाव, सुरक्षा और दुरुपयोग को नियंत्रित करती है। यह एसओपी वन अमले को बंदूक चलाने के अधिकार का उचित उपयोग करने में मदद करती है और सुनिश्चित करती है कि हथियारों का दुरुपयोग न हो। केवल अतिआवश्यक परिस्थितियों में ही वन अमले को बंदूक चलाने का अधिकार होता है। एसओपी में हथियारों की सुरक्षा और भंडारण के लिए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। 

16 अगस्त से जमा हैं बंदूके और रिवाल्वर..

प्रदेश वन विभाग के अंतर्गत विदिशा के वनकर्मियों और अफसरों ने अपनी बंदूकें और रिवॉल्वर 16 अगस्त को जमा करा दी हैं। मध्य प्रदेश स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स एसोसिएशन के निर्देश पर वनरक्षक से लेकर रेंजर ने ये हथियार जमा करा दिए। कर्मचारियों ने लटेरी में हुई फायरिंग को लेकर एकपक्षीय कार्रवाई को हथियार जमा कराने की वजह बताया है। वन विभाग द्वारा वन सुरक्षा में संलग्न वन को शासकीय बंदूकें जो महज शो पीस बनी हुई है। 

आज तक विभाग द्वारा न तो वन अमले को IPC (1973) की धारा 45 के तहत सशस्त्र बल (Armed forces) घोषित किया गया है और न ही वन सुरक्षा के दौरान हथियार चलाने के अधिकार दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में वन अमले को दी गई रिवॉल्वर और बंदूकें का कोई औचित्य नहीं रह जाता। इसके उलट वन सुरक्षा के दौरान सरकारी बंदूकों के चालन के दौरान क्षेत्रीय वनाधिकारियों एवं वन कर्मचारियों पर आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इससे वन अमला हतोत्साहित, असुरक्षित और असहज महसूस कर रहा है।