रीवा रेंज आईजी के बयान ने मध्य प्रदेश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है, विपक्ष ने नशीली कफ सिरप के कारोबार से जुड़े इस बयान पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस बयान को प्रदेश की भ्रष्ट व्यवस्था का प्रतिबिम्ब बताया है। उनका कहना है कि अब पुलिस अधिकारी खुद ही कानून व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं।
रीवा आईजी ने कथित तौर पर कहा कि थाना प्रभारी की मिलीभगत के बिना नशीली सिरप की बिक्री नामुमकिन है। सिंघार ने इस बयान को गंभीर बताते हुए कहा कि यह रीवा ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की भ्रष्ट और नशे में डूबी व्यवस्था का सच है।
सिंघार ने याद दिलाया कि उन्होंने पहले भी कई मंचों पर रीवा में फल-फूल रहे नशीली कफ सिरप के कारोबार का मुद्दा उठाया था। अब जब आईजी ने खुद पुलिस की संलिप्तता स्वीकार की है, तो यह और भी चिंताजनक है।
नेता प्रतिपक्ष ने उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल पर सीधा सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “क्या इस राज्य के उपमुख्यमंत्री को इसकी जानकारी नहीं है? क्या उन्हें नहीं पता कि नशीली कफ सिरप के धंधे में कौन-कौन शामिल है?”
सिंघार ने इसे ड्रग माफिया और पुलिस व सरकार के बीच सांठगांठ करार दिया, जिसने प्रदेश के युवाओं को बर्बादी की ओर धकेल दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया, “क्या अवैध नशे के धंधे में शामिल पुलिसवालों पर कार्रवाई होगी या उन्हें सरकार का संरक्षण मिलता रहेगा?”
आपको बता दें, कि रीवा आईजी के बयान से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि एक ज़िम्मेदार अधिकारी का ऐसा बयान मध्य प्रदेश में माफिया राज को दर्शाता है। उन्होंने मध्य प्रदेश को नशामुक्त बनाने के लिए पूरे राज्य में कार्रवाई की मांग की।
कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस को हर मुद्दे का राजनीतिकरण करने की आदत है। उन्होंने दावा किया कि आईजी नशा मुक्ति अभियान के तहत अपने अधिकारियों से बात कर रहे थे और नशाखोरी रोकने के तरीके बता रहे थे। भाजपा प्रवक्ता ने कमलनाथ की 15 महीने पुरानी सरकार पर माफिया को हावी होने देने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी सरकार ने माफिया की कमर तोड़ दी है।
पुराण डेस्क