बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, 'कोई दोषी हो तो भी नहीं गिराया जा सकता घर...'


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स्टोरी हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं, कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी का घर तोड़ना सही नहीं है..!!

सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर मामले की सुनवाई शुरू हो गई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के सामने दलीलें पेश कीं। मेहता ने कहा कि नगर निगम कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि अवैध कब्जे के मामलों में पालिका की ओर से नोटिस देने के बाद ही कार्रवाई की गई है। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। अदालत ने सरकार को नोटिस, कार्यवाही और अन्य आरोपों का जवाब देने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी का घर तोड़ना सही नहीं है। कोर्ट ने सरकार और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी है तो भी उसका घर नहीं तोड़ा जा सकता।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे स्वीकार कर लिया और कहा कि अपराध साबित होने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन लोगों पर मुकदमा चलाया गया, उन्हें अवैध व्यवसाय या निर्माण के कारण निशाना बनाया गया, आपराधिक आरोपों के कारण नहीं।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दायर कर सरकार द्वारा आरोपियों के घरों पर मनमाने तरीके से बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हालिया बुलडोजर कार्रवाई का हवाला देते हुए अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में 'बुलडोजर न्याय' के चलन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की अपील की गई।

वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की। यह याचिका जहांगीरपुरी मामले के वकील फारुख रशीद ने दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकारें हाशिए पर रहने वाले लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों के घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर चलाकर उनके खिलाफ उत्पीड़न का चक्र चला रही हैं, जिससे पीड़ितों को कानूनी उपचार लेने का मौका नहीं मिल रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सार्वजनिक सड़कों को बाधित करने वाले किसी भी अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। कोर्ट ने संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं ताकि वह देशभर में संपत्तियों को गिराने पर उचित दिशानिर्देश जारी कर सके।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की फरवरी 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2022 से जून 2023 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्य प्रदेश और यूपी में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 128 संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया गया। मध्य प्रदेश में एक आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चलाया गया, इसके अलावा मुरादाबाद और बरेली में भी बुलडोजर चलाकर संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया गया।

हाल ही में, राजस्थान के उदयपुर जिले में राशिद खान के घर पर भी बुलडोज़र चला दिया गया था क्योंकि उनके 15 वर्षीय बेटे पर स्कूल में अपने सहपाठी को चाकू मारने का आरोप लगाया गया था।