भोपाल: टाइगर स्टेट मप्र में टाइगर की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। शुक्रवार को तवा नदी के बड़चापड़ा घाट के पास टाइगर का शव मिला। टाइगर का पंजा गायब है और उसके शरीर में क्लच वायर धंसा हुआ पाया गया। सतपुड़ा टाइगर की फिल्म डायरेक्टर राखी नंदा अपनी टीम के घटनास्थल पर पहुंच गई। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गौरतलब तथ्य यह है कि 20 अगस्त को वन बल प्रमुख वीएन अम्बाड़े ने टाइगर और तेंदुए की हो रही मौत को लेकर अफसरों की कार्य शैली पर सवाल उठाते हुए सख्त पत्र लिखा है। लगता है हॉफ के पत्र पर आईएफएस गंभीरता से नहीं लें रहें हैं।
पीसीसीएफ वन्य प्राणी शुभरंजन सेन ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि जिस एरिये में टाइगर का शव मिला है, वह जगह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का न तो कोर एरिया है और न ही वह बफर जोन में आता है। फिर भी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने पूरे प्रकरण को अपने हाथ में लेकर जांच शुरू कर दी है।
वैसे जिस स्थान पर टाइगर का शव मिला है, उसे लेकर विवाद की स्थिति है। तवा नदी का वह हिस्सा नर्मदा पुरम वन मंडल अपना नहीं मान रहा है। कमोबेश यही दावा वन विकास निगम के आधिकारिक सूत्रों दावा किया है कि वह इलाका निगम के अंतर्गत आता नहीं आता है। बहरहाल, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
क्या लिखा अम्बाड़े ने पत्र..
वन बल प्रमुख वीएन अम्बाड़े ने समस्त फील्ड डायरेक्टर टाइगर रिजर्व और सीसीएफ एवं सीएफ को एक सख्त पत्र लिखा है। पत्र में कहा है कि विगत 20-25 दिनों में टाईगर रिजर्व एवं क्षेत्रीय वनों में 5-6 बाघों एवं तेंदुओं की मृत्यु हुई है। इतनी सुदृढ़ व्यवस्था होने के पश्चात् भी कम समय में बाघ एवं तेंदुओं की इतनी अधिक मृत्यु होना वन एवं वन्य जीव संरक्षण व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
पेंच एवं सतपुड़ा टाईगर रिजर्व में बाघों की मृत्यु के संबंध में यह बताया गया कि बाघों की मृत्यु आपसी संघर्ष में हुई है। जब बाघों में संघर्ष होता है तो उनकी दहाड़ दूर तक सुनाई देती है, ऐसी स्थिति में एक बाघ की मृत्यु होने के पश्चात् स्थानीय अमले को जानकारी न होना सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होने का संकेत देता है। एम-स्ट्रिप (Monitoring System for Tigers – Intensive Protection and Ecological Status), मानसून पेट्रोलिंग आदि के द्वारा निगरानी रखी जाती है फिर भी बाघों की मृत्यु के पश्चात् जानकारी न होना उचित नहीं है।
एनटीसीए के मुताबिक आकड़ा 35 तक पहुंचा..
इधर, एनटीसीए के मुताबिक, प्रदेश में साढ़े सात माह में अलग अलग कारणों से 34 बाघों ने जान गंवाई है। इनमें ज्यादातर मौतें 21 टाइगर रिजर्व के भीतर हुई हैं। वहीं, सिर्फ डेढ़ माह (एक जुलाई से 19 अगस्त) में आधा दर्जन बाघों की मौत हुई है, इनमें सबसे ज्यादा 3 पेंच टाइगर रिजर्व में हुई।
सूत्रों के अनुसार, सीधी के संजय डुबरी पार्क के खरबर बीट में नर बाघ टी-43 का शव की सूचना मंगलवार को वन विभाग को मिली। वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की। तीन डॉक्टरों ने मंगलवार शाम को पहुंचकर बाघ का पोस्टमॉर्टम किया। फोरेंसिक जांच के लिए विसरा भेज दिया गया। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रोटोकॉल के अनुसार बाघ का अंतिम संस्कार किया गया। वहां लोगों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
कहां कितनी मौतें
कान्हा टाइगर रिजर्व 6
पेंच टाइगर 7
बांधवगढ़ टाइगर 3
संजय डुबरी 3
सतपुड़ा टाइगर 3
टाइगर रिजर्व से बाहर 13
(नोट - शुक्रवार को तवा नदी के बड़चापड़ा घाट में एसटीआर का शव भी इस आंकड़े में शामिल है।)