भोपाल: प्रदेश में बांस की उत्पादकता साल दर साल घटती जा रही है। पिछले दस सालों के अंदर इसके उत्पादन क्षेत्रों में भी भारी कमी आई है। यही वजह है कि वन बल प्रमुख एवं हॉफ वीएन अंबाड़े ने फील्ड के अफसरों को निर्देश दिए है कि बांस के पुनर-उत्पादन बढ़ाने के लिए बांसों का वर्किंग प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि यह जैव विविधता के लिए जरुरी है। उन्होंने अफसरों को सवा करोड़ बांस के पौधे तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं। इन कार्यों के लिए नवीन सब हेड प्रस्तावित किये गये हैं।
वन बल प्रमुख अंबाड़े ने अनौपचारिक चर्चा में बताया कि बांस कई वन्यजीवों की शरण स्थली है, क्योंकि यह उन्हें छिपने और घोंसला बनाने के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है। यह पक्षियों, कीड़ों और अन्य वन्यजीवों को आश्रय देता है। इसके साथ ही बांस के जंगल कई अलग-अलग वन्यजीव प्रजातियों के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाते हैं।
उन्होंने बताया कि बांसों के रोपणों का रखरखाव एवं बांस वनों की पुर्नस्थापना अत्यंत ही महत्वपूर्ण कार्य है, किन्तु किन्हीं कारणों से इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बांस का वृक्षारोपण बहुत कम किया जा रहा है जिसके लिए वन बल प्रमुख द्वारा अप्रसन्नता व्यक्त की गई और जिन क्षेत्रों में बांस का अच्छा रोपण हुआ उन क्षेत्रों के वन मण्डलाधिकारियों से चर्चा का परामर्श दिया गया।
किसानों के लिए बाजार उपलब्ध कराएं
अंबाड़े ने यह माना कि बांस बेम्बू मिशन बांसों के उत्पादन बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपए फूंक रहा है, इसके बाद भी प्रदेश को जरूरत के लिए बांस की खेती नहीं करवा पा रहा है। इसके लिए वन बल प्रमुख ने अफसरों से कहा है कि ग्रामीणों को वृक्षारोपण हेतु प्रोत्साहित करे। इस हेतु कार्यशाला आयोजित करे और ग्रामीणों से पौधे लगवाए।
उनका कहना है कि बांस मिशन के संबंध में जब भी हम किसी कार्य को करना शुरू करते है अथवा योजना बनाते है तो उसके अन्त के विषय में जरूर सोचना चाहिए। जैसे- बांस मिशन में किसानों द्वारा बांस तो लगाए जा रहे है किन्तु उन्हें बाजार नहीं मिला पा रहा हैं। ऐसे में डीएफओ की जिम्मेदारी है कि उन्हें बाजार उपलब्ध कराएं।
बांस की खेती में ठगे गए किसान
प्रदेश के कई किसान बांस की खेती करके ठगे गए हैं क्योंकि उन्हें धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों ने अवास्तविक वादे और झूठे वादे करके पौधे बेचे थे, जिनमें से कई कम गुणवत्ता वाले या गलत किस्म के थे। यह भी देखा गया कि किसानों को बांस बेचने के लिए कोई बाजार नहीं मिला और उन्हें अनुमान से कम मुनाफा हुआ। इन धोखाधड़ी में अक्सर असंगठित कंपनियां शामिल होती है, जो किसानों को ठगती हैं।
फिर भी बांस की खेती कुछ किसानों के लिए फायदेमंद रही है, खासकर जब यह सरकारी योजनाओं और उचित योजना के साथ की जाती है। हरदा, देवास और सीधी के किसानों को खरीददार नहीं मिल रहें हैं। हरदा जिलान्तर्गत चिपाबाद खिरकिया के एक किसान का कहना है कि हमारे पास 4 एकड़ जमीन में बांस है, जो कटाई के लिए तैयार है। हम 6 महीने से अधिक समय तक बांस बेचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई भी देखने या बेचने के लिए नहीं आया है। बांस मिशन किसानों के लिए अभिशाप है, हम यहां फंस गए हैं।
30 वन मंडलों में बांस के वन बचे हैं
प्रदेश में 63 वन मंडलों में से अब केवल 30 वन मंडलों में बांस के वन बचे हैं। पिछले 15 वर्षों में दक्षिण पन्ना, दक्षिण सागर, डिंडोरी, गुना, अशोक नगर, खरगौन सहित 8 वन मंडलों में पूरी तरह से बांस समाप्त हो गए हैं।
गणेश पाण्डेय