31 मई देवी अहिल्याबाई होलकर की 300 वीं पुण्यतिथि


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स्टोरी हाइलाइट्स

पूर्व सांसद गुड्डू का सीएम से आग्रह इंदौर - बड़वानी में अहिल्याबाई होलकर अभयारण्य बनाएं..!!

भोपाल: लंबे अरसे बाद राजनीतिक चुप्पी तोड़ते हुए पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर को पुण्य स्मरण करते हुए 31 मई को 300वीं जयंती के एक दिन मुख्य मंत्री मोहन यादव को एक पत्र लिखा है। गुड्डू ने सीएम को लिखें पत्र में कहा है कि पूरे देश में अहिल्याबाई होलकर की 300 वीं जयंती मनाई जा रही है। महाराष्ट्र सरकार ने अहमद नगर जिले का नाम बदलकर पुण्यश्लोक अहिल्या देवी जिला कर दिया है। आपसे आग्रह है कि लोकमाता अहिल्या देवी की याद में इंदौर और बड़वाह जिले में प्रस्तावित अहिल्याबाई होलकर अभयारण्य की घोषणा करें। 

पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को संबोधित लिखा है कि अपने पत्र सर्वप्रथम मैं आपको सागर जिले में डॉ भीमराव अम्बेडकर अभयारण्य के गठन की बधाई देता हूँ। माधव राष्ट्रीय उद्यान और पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के बीच वन्यजीव कॉरीडोर में स्थित इस अभयारण्य से न केवल मानव-वन्यप्राणी द्वंद्व की स्थिति कम होगी और बुन्देलखण्ड की जनता को पर्यटन से अतिरिक्त आय होगी, बल्कि साथ ही वन्यजीवों के लिए 'स्टेपिंग स्टोन कॉरीडोर' के सृजन से हमारे प्रदेश का पारिस्थितिकीय तंत्र भी और मज़बूत होगा।

सेंचुरी का प्रस्ताव सरकार के पास लंबित

मैं आपका ध्यान इंदौर और बड़वाह जिले में प्रस्तावित अहिल्याबाई होलकर अभयारण्य की ओर भी आकृष्ट करना चाहता हूँ, जो पिछले कई वर्षों से शासन के पास विचाराधीन है। उन्होंने लिखा है कि 3278.821 हेक्टेयर में प्रस्तावित इस अभयारण्य का संपूर्ण क्षेत्रफल आरक्षित वन है, जिसमें सभी अधिकार राज्य शासन के पास निहित हैं जिससे इसे बड़ी आसानी और शीघ्रता से अभयारण्य बनाया जा सकता है। इस क्षेत्र में कोई भी गाँव या पट्टे की ज़मीन नहीं है और आस-पास के ग्रामीणों के निस्तार, भविष्य में सड़क चौड़ीकरण आदि विकास कार्यों हेतु समुचित जगह का प्रावधान भी रखा गया है, जिससे किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का हनन या विकास कार्यों में बाधा न हो सके।

हो सकता है 'स्टेपिंग स्टोन कॉरीडोर' के रूप में विकसित

यह अभयारण्य ओंकारेश्वर तथा धार के बीच एक सशक्त 'स्टेपिंग स्टोन कॉरीडोर' के रूप में विकसित हो सकता है। इस क्षेत्र के अधिकतर वन "सुधार वन वृत्त" में आते हैं और वर्तमान स्थिति में इन वनों से शासन को, तथा यहाँ की वन विकास समितियों को अत्यंत कम राजस्व / आमदनी प्राप्त होती है। अभयारण्य के निर्माण से यहाँ पर्यटन विकसित होगा और जनमानस के लिए रोज़गार के नए अवसर बनेंगे जिससे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ावा मिलेगा। इन सब हितों के लिए शासन का कोई ख़ास खर्च भी नहीं होगा, क्योंकि मौजूदा अधिकारियों तथा कर्मचारियों के द्वारा ही नव-निर्मित अभयारण्य का प्रबंधन किया जा सकता है।

अहिल्याबाई होलकर सेंचुरी गठित करना सच्ची श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में कहा है कि जैसा कि आपको विदित है, लोकमाता अहिल्याबाई होलकर मालवा की शासिका थीं, जिन्होंने काशी विश्वनाथ समेत अनेक मंदिरों के निर्माण और पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान तो दिया ही, साथ ही प्रजा के लिए घाट, तालाब, धर्मशालाओं और पाठशालाओं का सृजन करते हुए सामाजिक न्याय का कार्य भी किया। लोक-कल्याण के अनेक कार्यों के कारण ही वे "लोकमाता" के नाम से जानी जाती हैं। वर्ष 2025 उनकी 300वीं जयंती है। इस पावन समय में अहिल्याबाई होलकर अभयारण्य का गठन कर हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं, और जनकल्याण के उनके सपने को आगे बढ़ा सकते हैं।