कैम्पा फंड में गड़बड़झाला करने वाले वन विभाग छिंदवाड़ा के एक एसडीओ और दो रेंजरों के विरुद्ध EOW में मामला दर्ज


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स्टोरी हाइलाइट्स

जांच में सामने आया कि वन विभाग में 30 लाख से अधिक की राशि फर्जी मजदूर और फर्जी फर्म के नाम पर निकाली गई, जबकि मंडला में ग्राम पंचायत बेलखेड़ी में बिना कार्य करवाए 22.87 लाख रुपए का गबन किया गया था, दोनों जिलों में कार्रवाई के बाद EOW ने संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, गबन और फर्जीवाड़े के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है..!!

भोपाल: जबलपुर आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बुधवार को छिंदवाड़ा और मंडला में एक साथ कार्रवाई करते हुए वन विभाग के उप वन मंडलाधिकारी, दो रेंज अधिकारी, एक वनपाल के बेटे, तथा मंडला जिले के सरपंच और सचिव के खिलाफ गबन और फर्जी भुगतान के मामलों में FIR दर्ज की है।

जांच में सामने आया कि वन विभाग में 30 लाख से अधिक की राशि फर्जी मजदूर और फर्जी फर्म के नाम पर निकाली गई, जबकि मंडला में ग्राम पंचायत बेलखेड़ी में बिना कार्य करवाए 22.87 लाख रुपए का गबन किया गया था। दोनों जिलों में कार्रवाई के बाद EOW ने संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, गबन और फर्जीवाड़े के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ आगे मामले की वित्तीय जांच और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की पड़ताल कर रहा है।

30 लाख के फर्जी भुगतान का आरोप

जबलपुर EOW को शिकायत मिली थी कि कैम्पा योजना की राशि का गलत उपयोग किया जा रहा है। जांच में पता चला कि अनादि बुधोलिया, उप वन मंडलाधिकारी (परासिया, छिंदवाड़ा), कीर्ति बाला गुप्ता, परिक्षेत्र अधिकारी (सांवरी रेंज), हीरालाल सनोड़िया, परिक्षेत्र अधिकारी (सांवरी रेंज) और वनपाल चेतराम चौबे के पुत्र सुशील चौबे ने साठगांठ कर कई मदों में फर्जी भुगतान किए।

फर्जी मजदूर-फर्म के नाम पर भुगतान

EOW की जांच में खुलासा हुआ कि वनपाल चेतराम चौबे के पुत्र सुशील चौबे का नाम फर्जी मजदूर के रूप में दर्ज किया गया था। जांच में सामने आया कि सुशील चौबे को मजदूरी के नाम पर 2,71,379 रुपए का फर्जी भुगतान किया गया। इसके अलावा सुशील चौबे की ही फर्म अवनी कंस्ट्रक्शन के खातों में 23,21,199 रुपए ट्रांसफर किए गए। यह पूरी राशि निर्माण कार्य, बाउंड्रीवाल और कैम्पा योजना के अन्य कामों के नाम पर स्वीकृत दिखाई गई थी, जबकि वास्तविकता में ये भुगतान कागजों पर हेराफेरी कर फर्जी तरीके से किए गए थे।

1 दिन में मजदूर को 2 बार भुगतान

जांच में यह भी सामने आया कि एक ही कार्य के लिए एक ही मजदूर को एक ही तारीख में दो बार भुगतान किया गया, जो सीधे तौर पर भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।

स्वीकृति से पहले किए भुगतान

सांवरी परिक्षेत्र में बाउंड्रीवाल निर्माण के लिए स्वीकृत 15 लाख रुपए में से 6,97,643 रुपए के ही देयक मिले। बाकी राशि का गबन पाया गया। इसके अलावा स्वीकृति जारी होने के पहले ही 2,22,176 रुपए का भुगतान कर दिया गया था। साथ ही परासिया वन मंडल द्वारा CCTV और DVR की खरीद में कोटेशन से अधिक 52,534 रुपए का भुगतान किया गया। यह भुगतान भी कार्य स्वीकृति से पहले कर दिया 52,534 रुपए का भुगतान किया गया। यह भुगतान भी कार्य स्वीकृति से पहले कर दिया गया था। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी अधिकारी अनादि बुधोलिया अपने 19 वर्ष के सेवा काल में से 17 वर्ष एक ही वन मंडल में तैनात रहे।

सरपंच-सचिव ने किया गबन

बता दें मंडला के ग्राम पंचायत बेलखेड़ी और बीरमपुर में विकास कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत भी EOW को ग्रामीणों से मिली थी। जांच में पाया गया कि तत्कालीन सरपंच बीरन सिंह काकोडिया और सचिव मिथलेश उददे ने वर्ष 2014 से 2022 के बीच सीसी रोड, चौपाल निर्माण, पुलिया, नाली निर्माण और पंचायत भवन मरम्मत जैसे 9 कार्यों के लिए जांच में पाया गया कि तत्कालीन सरपंच बीरन सिंह काकोडिया और सचिव मिथलेश उददे ने वर्ष 2014 से 2022 के बीच सीसी रोड, चौपाल निर्माण, पुलिया, नाली निर्माण और पंचायत भवन मरम्मत जैसे 9 कार्यों के लिए स्वीकृत राशि में से 22,87,370 रुपए बिना काम करवाए निकाल लिए। दोनों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर, संयुक्त हस्ताक्षर से राशि आहरण कर सरकारी रुपयों का गबन कर लिया।