एक बगिया मां के नाम परियोजना, फलोद्यान की बगिया विकसित करने समूह की महिलाओं ने दिखाया उत्साह


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स्टोरी हाइलाइट्स

निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा पंजीयन, प्रदेश में 34 हजार से अधिक समूह की महिलाओं ने कराया एक बगिया मां के नाम ऐप से रजिस्ट्रेशन, निजी जमीन पर विकसित की जाएगी बगिया, 1000 करोड़ रुपये से विकसित की जाएगी बगिया..!!

भोपाल: स्व सहायता समूह की महिलाओं को समृद्ध बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। नवाचारों के माध्यम से महत्वाकांक्षी योजनाएं चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव द्वारा महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत प्रदेश में एक बगिया मां के नाम परियोजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत स्व-सहायता समूह की महिलाओं की निजी भूमि पर फलोद्यान की बगिया लगाई जाएगी। फलोद्यान की बगिया लगाने को लेकर समूह की महिलाओं ने गजब का उत्साह का दिखाया है। प्रदेश में निर्धारित लक्ष्य से अधिक 34 हजार 84 महिलाओं ने एक बगिया मां के नाम ऐप से पंजीयन कराया है। परियोजना के अंतर्गत हितग्राहियों को पौधे, खाद, गड्‌ढे खोदने के साथ ही पौधों की सुरक्षा के लिए कटीले तार की फेंसिंग और सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर का जल कुंड बनाने के लिए राशि प्रदान की जाएगी। साथ ही प्रदेश में फलदार पौधे लगाने का कार्य भी शुरू हो गया है। 

मनरेगा परिषद द्वारा MPSEDC के माध्यम से कराया गया है ऐप का निर्माण

एक बगिया मां के नाम परियोजना का लाभ लेने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का चयन एक बगिया मां के नाम ऐप से किया जा रहा है। ऐप का निर्माण मनरेगा परिषद द्वारा MPSEDC के माध्यम से कराया गया है। सबसे खास बात यह है कि अन्य किसी माध्यम से हितग्राही का चयन नहीं किया जाएगा। चयनित महिला हितग्राही के नाम पर भूमि नहीं होने की दशा में उस महिला के पति-पिता-ससुर-पुत्र की भूमि पर उनकी सहमति के आधार पर पौधरोपण किया जाएगा।

पहली बार अत्याधुनिक तकनीक से किया जा रहा पौधरोपण

प्रदेश में पहली बार अत्याधुनिक तरीके पौधरोपण का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद ली जा रही है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से पौधरोपण के लिए जमीन का चयन वैज्ञानिक पद्धति (सिपरी सॉफ्टवेयर) के माध्यम से किया गया है। जमीन चिन्हित होने के बाद सॉफ्टवेयर की मदद से ही भूमि का परीक्षण किया गया है। जलवायु  के साथ ही किस जमीन पर कौन सा फलदार पौधा उपयोगी है, पौधा कब और किस समय लगाया जाएगा, पौधों की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी कहा पर उपलब्ध है, यह सब वैज्ञानिक पद्धति (सिपरी सॉफ्टवेयर) के माध्यम से पता लगाया जा रहा है। साथ ही, जमीन के उपयोगी नहीं पाए जाने पर पौधरोपण का कार्य नहीं होगा। पौधरोपण का कार्य बेहतर ढंग से हो इसके लिए संबंधित  अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। 

प्रदेश में 31 हजार 300 महिलाओं को मिलेगा परियोजना का लाभ

 “एक बगिया माँ के नाम’’ परियोजना अंतर्गत प्रदेश की 31 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लाभ मिलेगा। इनकी निजी जमीन पर 30 लाख से अधिक फलदार पौधे लगाएं जाएंगे, जो समूह की महिलाओं की आर्थिक समृद्धि का आधार बनेंगे। 

हर एक ब्लॉक में 100 हितग्राहियों का किया जा रहा चयन

एक बगिया मां के नाम परियोजना अंतर्गत प्रत्येक ब्लॉक में न्यूनतम 100 हितग्राहियों का चयन किया जा रहा है। चयनित हुई समूह की पात्र महिलाओं को बकायदा प्रशिक्षित किया जाएगा। यह प्रशिक्षण महिलाओं को वर्ष में दो बार दिया जाएगा। 

न्यूनतम 0.5, अधिकतम 1 एकड़ जमीन होना अनिवार्य

एक बगिया मां के नाम परियोजना का लाभ लेने के लिए चयनित हुई समूह की महिला के पास बगिया लगाने के लिए भूमि भी निर्धारित की गई है। चयनित महिला के पास न्यूनतम 0.5 या अधिकतम एक एकड़ जमीन होना अनिवार्य है। 

प्रति 25 एकड़ पर 1 कृषि सखी की होगी तैनाती

फलोद्यान की बगिया लगाने के लिए चयनित हितग्राहियों की सहायता के लिए कृषि सखी की तैनाती की जाएगी। ये कृषि सखी हितग्राहियों को खाद, पानी, कीटों की रोकथाम, जैविक खाद, जैविक कीटनाशक तैयार कराने और अंतरवर्तीय फसलों की खेती के बारे में जानकारी प्रदान करेंगी। प्रत्येक 25 एकड़ पर एक कृषि सखी की तैनाती की जाएगी। 

ड्रोन-सैटेलाइट इमेज और डैशबोर्ड से निगरानी

पौधरोपण का कार्य सही ढंग से हो रहा है या नहीं, पौधे कहा लगे हैं, कहा नहीं लगे हैं, इसकी ड्रोन-सैटेलाइट इमेज से बकायदा निगरानी भी की जाएगी। साथ ही पर्यवेक्षण के लिए अलग से एक डैशबोर्ड भी बनाया गया है। प्रदर्शन के आधार पर प्रथम 3 जिले, 10 जनपद पंचायत व 25 ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।

हितग्राहियों के चयन में टॉप 5 जिले

एक बगिया मां के नाम परियोजना के लिए हितग्राहियों के चयन में स्थिति में 5 जिले आगे हैं। इसमें सिंगरौली, देवास, खंडवा, निवाड़ी और टीकमगढ़ जिला शामिल है।