भोपाल:प्रदेश की वित्तीय स्थिति एक बार फिर सुर्खियों में है। विकास की गति बनाए रखने के नाम पर मध्य प्रदेश सरकार ने बाजार से भारी-भरकम नया कर्ज उठाया है। रिज़र्व बैंक के मुंबई कार्यालय के माध्यम से राज्य सरकार ने अपनी सिक्योरिटीज़ का विक्रय कर ₹5200 करोड़ रुपये का नया ऋण लिया है।
यह कर्ज दो हिस्सों में प्राप्त किया गया -
पहला ऋण ₹2700 करोड़ का है, जिसे 21 वर्ष बाद चुकाया जाएगा, जबकि दूसरा ऋण ₹2500 करोड़ का है, जिसकी अदायगी 22 वर्ष पश्चात निर्धारित है। दोनों ही ऋणों पर सरकार को वर्ष में दो बार कूपन रेट के अनुसार ब्याज चुकाना होगा।
वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक राज्य सरकार ₹37,400 करोड़ का कर्ज बाजार से उठा चुकी थी। इस नये कर्ज को जोड़ने पर यह राशि अब ₹42,600 करोड़ तक पहुँच गई है।
इस प्रकार, प्रदेश पर कुल ऋण का बोझ बढ़कर साढ़े चार लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है।
हालाँकि, सरकार का दावा है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति “मजबूत और सुदृढ़” है तथा यह उधारी केवल विकास परियोजनाओं की गति बनाए रखने के उद्देश्य से ली जा रही है। किंतु विशेषज्ञों का मानना है कि निरंतर बढ़ते कर्ज का यह सिलसिला राज्य की वित्तीय अनुशासन और भविष्य की ऋण-क्षमता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रहा है।
डॉ. नवीन आनंद जोशी