भोपाल। प्रदेश सरकार ने वनवासियों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।
15 नवम्बर 2025 को आयोजित होने वाले जनजातीय गौरव दिवस पर, वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में रूपांतरित करने की प्रक्रिया का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
राजभवन में गठित जनजातीय प्रकोष्ठ की बैठक में इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। वर्तमान में प्रदेश के 29 जिलों में 792 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम के रूप में परिवर्तित करने की कार्यवाही चल रही है।
अब तक 4,272 सामुदायिक वन अधिकार दावे स्वीकृत किए जा चुके हैं।
गुना, छिंदवाड़ा, कटनी, बालाघाट, बैतूल, भोपाल, सागर, सीधी एवं देवास जिलों में यह प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है, जबकि शेष 20 जिलों — जिनमें सीहोर, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, टीकमगढ़, निवाड़ी, नर्मदापुरम, इंदौर, धार, जबलपुर, हरदा, मंडला, डिंडौरी, खंडवा, बुरहानपुर, खरगौन, बड़वानी, सिंगरौली, सिवनी एवं नरसिंहपुर — में कार्य प्रगति पर है।
अब तक 4 ग्रामों का सर्वेक्षण पूर्ण हो चुका है, जबकि 781 ग्रामों में यह कार्य जारी है।
127 ग्रामों के अभिलेखों का डिजिटाइजेशन पूरा किया जा चुका है, और 633 ग्रामों में यह प्रक्रिया प्रगतिरत है।
यह पहल न केवल वनवासियों को राजस्व ग्रामों जैसी प्रशासनिक सुविधाएँ और अधिकार प्रदान करेगी, बल्कि उन्हें विकास योजनाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आधारभूत ढाँचे से भी सीधा जोड़ेगी।
यह कहा जा सकता है कि यह पहल मध्य प्रदेश में ‘जंगल से जनकल्याण’ की दिशा में एक ठोस और निर्णायक कदम है।
डॉ. नवीन आनंद जोशी